Seema Haider Interrogation: पाकिस्तान से भारत आई सीमा हैदर फिलहाल यूपी एटीएस की हिरासत में जहां उससे लगातार पूछताछ की जा रही है. इस पूछताछ में सीमा और सचिन से कई सवाल पूछे गए. जिसमें सीमा से ये भी पूछा गया कि उसके दो पासपोर्ट क्यों हैं? इसके अलावा सचिन और सीमा से उनकी मुलाकात और बातचीत को लेकर भी पूछताछ की गई. एबीपी न्यूज़ के पास सीमा से पूछे गए सवाल और उनके जवाबों की लिस्ट है. आइए जानते हैं कि यूपी एटीएस की तरफ से सीमा से क्या-क्या सवाल किए गए. 


सवाल 1: सूत्रों के मुताबिक, यूपी एटीएस के एसपी रैंक के अधिकारी ने पाकिस्तान की रहने वाली सीमा हैदर के सामने सबसे पहले उसके दो पासपोर्ट सामने रखे और पूछा कि इसमें असली कौन सा है? 


सीमा हैदर का जवाब: मैं पिछले दस दिनों से बता रही हूं कि पहले पासपोर्ट में सिर्फ सीमा लिखा था, जिसके चलते दिक्कत आ रही थी. इसलिए दूसरा पासपोर्ट सीमा गुलाम हैदर के नाम से बनवाया था.


सवाल 2: सूत्रों के मुताबिक, एटीएस के अधिकारी ने फिर सीमा हैदर पूछा कि क्या तुम्हारे भाई और चाचा जो पाकिस्तान आर्मी में है उन्होंने तुम्हे यहां भेजा है या फिर आईएसआई ने भारत में जाने के लिए कहा है?


सीमा हैदर का जवाब : मैं अपने भाई और चाचा से सालों से नही मिली हूं और ये आईएसआई क्या होता है ये मुझे पिछले कुछ दिनों में भारत आने पर पता चला, जब टीवी चैनल में मुझे आईएसआई का एजेंट बताया गया. मैं सिर्फ सचिन के लिए ही नेपाल के रास्ते भारत आई हूं.


एटीएस अधिकारी: ऐसे कैसे हो सकता है कि तुम कराची में रहती थी और आईएसआई का नाम नहीं सुना है. वो भी तब जब तुम्हारे घर वाले पाकिस्तान फौज में हैं और खुद स्मार्टफोन चलाती हो, पबजी जैसे गेम खेलती हो तब आईएसआई के बारे में कैसे नहीं जानती हो.


सीमा हैदर: आधी जिंदगी बच्चे पैदा करने और पालने में बीत गई और पिछले पांच साल से मैं सिर्फ समय काटने के लिए पबजी गेम खेलती थी. ऐसे में आईएसआई जैसे वर्ड सुनने का टाइम ही नहीं मिला.


सवाल 3: आईएसआई शब्द सुनने का टाइम नही मिला, इंग्लिश तो बहुत अच्छी है, कहां और कब सीखी बल्कि तुम तो सिर्फ पांचवी तक पढ़ी हो.


सीमा हैदर का जवाब : मैंने जो भी सीखा वो 2019 के बाद ही सीखा जब से पबजी खेलना शुरू किया था. इसमें पढ़े-लिखे लड़कों के साथ खेलती थी, तो उन्हीं से बातों-बातों में सीख लिया. 
(इस दौरान एटीएस के अधिकारी ने पेज में हाथ से इंग्लिश में कुछ लाइन लिख सीमा को पढ़ने के लिए दिया तो सीमा ने तुरंत वो पढ़ ली. )


सवाल 4: एटीएस के अधिकारी ने सीमा से पूछा तुम अपनी भाषा जो उर्दू, अरबी, सिंधी हो सकती है वो तो नहीं, लेकिन हिंदी और अंग्रेजी बड़े अच्छे तरीके से बोल रही हो, इसकी किसने ट्रेनिंग दी तुम्हें? क्या तुमसे ये कहा गया था कि वहां शुद्ध हिंदी में बात करना ताकि भारत के लोगों से जल्द घुल मिल जाओ. हमने सुना है कि, शरण, अनर्थ,  जैसे शब्द बिल्कुल शुद्ध तरीके से बोलती हो. 


सीमा हैदर का जवाब : मुझे किसी ने नहीं सिखाया है, कई बार कह चुकी हूं कि मैं सिर्फ अपनी मोहब्बत के लिए यहां आई हूं. न ही किसी ने मुझे ट्रेनिंग दी और न ही किसी ने भेजा है. सचिन से बात करते-करते मैं हिंदी सीखी हूं. 


एटीएस अधिकारी : सचिन मीणा खुद ही हिंदी ठीक से नहीं बोलता है, उसकी भाषा में पश्चिमी यूपी का टच है बल्कि जो तुम बोल रही हो जैसे कोई प्रशिक्षित हिंदी क्या ज्ञानी बोल रहा हो. इस पर सीमा हैदर ने कोई जवाब नहीं दिया. 


सवाल 5: एटीएस अधिकारी : तुमने चार जुलाई को पुलिस से बताया था कि, जब नेपाल से बस के जरिए सचिन के पास आई तो तुम्हारा मोबाइल काम नहीं कर रहा था. इसलिए बस ड्राइवर के फोन से सचिन को कॉल कर रही थी. लेकिन नोएडा पुलिस ने तुम्हारे पास से चार मोबाइल और चार सिम बरामद किए हैं. इतने मोबाइल तुम्हारे पास क्या कर रहे थे और उन्हें तोड़ा क्यों?


सीमा हैदर का जवाब : नेपाल से भारत आने पर मेरा पाकिस्तान का सिम काम नहीं कर रहा था और जब मैं सचिन के पास आई थी तब मुझे उन्होंने नया सिम लाकर दिया था. मोबाइल इसलिए तोड़ दिया था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि पाकिस्तान के लोग मुझे ट्रेस कर सके. 


एटीएस: सचिन ने एक सिम लाकर दिया बाकी सिम कैसे आए? इस पर सीमा ने कहा कि मुझे याद नहीं है.


सवाल 6: एटीएस अधिकार ने पूछा कि तुमने सभी सिम को अलग-अलग मोबाइल में लगाया और सभी में व्हाट्सऐप चला रही थी. इसमें जो तुमने प्रोफाइल फोटो लगाई है. वो किसी लड़की की है और दूसरे में कश्मीर के पहाड़ों की तस्वीर है? किसके कहने पर ये सब कर रही हो?


सीमा हैदर का जवाब : मैंने कोई व्हाट्सऐप नहीं बनाया और न ही कोई फोटो लगाई है.


सवाल 7: दो बार दुबई होते हुए नेपाल आने में बहुत पैसा खर्च हुआ होगा. इतना पैसा कहां से आया, तुम खुद किराए पर रहती हो. पिता तुम्हारे दो साल पहले ही मर चुके हैं. पति से संबंध ठीक नहीं, भाई से भी सालों से मिली नहीं हो तो पैसे कैसे मिले? अगर किसी ने तुम्हारी मदद की है तो सच बता दो हम लोग न ही तुम्हें पाकिस्तान भेजेंगे और न ही जेल. कोशिश करेंगे की भारतीय नागरिकता दिलवा दें.


सीमा हैदर का जवाब : कुल सात लाख रुपए खर्च हुए, हमारे दोनों बार आने जाने में. मैंने एक घर बेचा था, जो मेरे ही नाम था. उस घर में मैं रहती नहीं थी. मैंने अपने जेवर बेचकर पति गुलाम को दुबई भेजा था तो खुद के लिए भी पैसे का जुगाड़ कर सकती हूं और कई बार कह चुकी हूं कि किसी ने भी मेरी मदद नहीं की है भारत आने में.


सवाल 8: क्या सचिन के अलावा भी भारत में किसी को जानती हो?


सीमा हैदर का जवाब : हां, लेकिन ठीक से नहीं. जब पाकिस्तान में थी तब सचिन को जानने से पहले पबजी गेम और फेसबुक के जरिए कुछ लड़कों से चैट होती थी. लेकिन बस समय काटने के लिए बातचीत करती थी. न ही मैंने उन्हें कुछ ज्यादा अपने बारे में बताया और न ही उन्होंने मुझे कुछ बताया. हां सभी दिल्ली के रहने वाले थे. 


सवाल 9: तुमने अपनी जिंदगी में क्या-क्या कर लिया है. तुम्हारी असल उम्र क्या है. तुम 27 साल बताती हो, जब 2014 में तुम्हारी गुलाम से शादी हुई थी तब तुम्हारी उम्र 20 वर्ष थी, यानी अभी 29 साल होनी चाहिए और दोनों पासपोर्ट में तुम्हारी डेट ऑफ बर्थ 2002 लिखी है यानी कि पासपोर्ट के अनुसार तुम्हारी उम्र 21 है. 


सीमा हैदर का जवाब : मैं 27 साल की ही हूं. पासपोर्ट में कुछ गड़बड़ हो गया होगा. वहां हर जगह पैसा चलता है. न दो तो कुछ न कुछ गलत कर ही देते हैं. गुलाम से शादी जल्दबाजी में हुई थी तो शायद लिखने में कुछ गलती हो गई होगी.


सवाल 10: तुम्हारा असली मकसद क्या है भारत आने का?


सीमा हैदर का जवाब : मैं पाकिस्तान से इल लीगल तरीके से अपने चार बच्चों को लेकर सिर्फ और सिर्फ सचिन के लिए आई हूं. मुझे पहले से ही एहसास था कि अगर लोगों को पता चला तो यही होगा जो आज हो रहा है, इसलिए हम और सचिन किराए के मकान में रह रहे थे. मैं थक गई हूं अब.


पूछताछ में ATS को क्या खटका?
जानकारी के मुताबिक, एटीएस सीमा के किसी भी एक जवाब से संतुष्ट नहीं है. वो हर सवाल सुनते ही अपने जवाब सामने रख दे रही थी. पूछताछ के दौरान उसने एक बार भी अपने बच्चों के बारे में नहीं पूछा, जबकि उसके दो बच्चे उसी के साथ ऑफिस लाए गए थे और अलग कमरे में रखे गए थे. सीमा ने दोनों ही दिन एक ही जवाब दिए. उसमें एक भी लाइन इधर से उधर नहीं थी. इतना ही नहीं वो बिल्कुल घबराई हुई नहीं थी.


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