UP-बिहार विधानपरिषद चुनाव: खत्म हो रहा है अखिलेश-नीतीश का कार्यकाल, दिलचस्प होगा मुकाबला
राज्यसभा चुनाव के फॉर्मूले पर बीजेपी एक अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है. वहीं समाजवादी पार्टी-बीएसपी और कांग्रेस गठबंधन की दो सीटों पर जीत तय मानी जा रही है. अगर विपक्षी दलों का गठबंधन एक अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारता है तो जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि बिहार और उत्तर प्रदेश के विधानपरिषद की 24 सीटों के लिए चुनाव 26 अप्रैल को होगा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का उनके अपने-अपने राज्यों के ऊपरी सदन की सदस्यता का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का राज्य विधानपरिषद के सदस्य के तौर पर कार्यकाल भी छह मई को समाप्त होने वाला है. उत्तर प्रदेश में कुल 13 सीटें और बिहार में 10 सीटें क्रमश: पांच और छह मई को खाली हो रही हैं. उत्तर प्रदेश में खाली हो रही सीटों में से एक पर अखिलेश यादव और बिहार में खाली हो रही सीटों में से नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी सदस्य हैं.
बिहार में एक अन्य सीट नरेंद्र सिंह को गत छह जनवरी 2016 को अयोग्य करार दिये जाने के चलते खाली हो रही है. उनका कार्यकाल इस वर्ष छह मई तक था. आयोग ने कहा कि 24 सीटों के लिए चुनाव 26 अप्रैल को होगा. इनमें से 13 सीटें उत्तर प्रदेश और 11 बिहार में हैं.
दिलचस्प होगा UP का चुनाव उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, राजेंद्र चौधरी, नरेश उत्तम, उमर अली खान, मधु गुप्ता, रामसकल गुर्जर और विजय यादव की विधान परिषद का कार्यकाल पूरा हो रहा है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के विजय प्रताप सिंह, सुनील कुमार चित्तौड़, अंबिका चौधरी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के चौधरी मुश्ताक का कार्यकाल पूरा हो रहा है. वहीं बीजेपी के दो उम्मीदवार हैं जिनका कार्यकाल खत्म हो रहा है.
राज्यसभा और लोकसभा उप-चुनाव के बाद अब विधान परिषद के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) गठबंधन का असर दिख सकता है. राज्यसभा चुनाव में हालांकि गठबंधन की लाख कोशिशों के बावजूद बीजेपी ने बीएसपी उम्मीदवार को हरा दिया था.
विधान परिषद की एक सीट पर जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 31 विधायकों के वोट चाहिए. उत्तर प्रदेश विधानसभा में बीजेपी गठबंधन के पास 324 विधायक हैं. अगर अन्य दलों के बागी विधायकों पर नजर डालें तो वह भी बीजेपी के साथ जा सकते हैं. यानि बीजेपी के वोट में बढ़ोतरी होगी. ऐसे में बीजेपी की 10 सीटों पर जीत तय मानी जा रही है.
राज्यसभा चुनाव के फॉर्मूले पर बीजेपी एक अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है. वहीं समाजवादी पार्टी-बीएसपी और कांग्रेस गठबंधन की दो सीटों पर जीत तय मानी जा रही है. अगर विपक्ष गठबंधन एक अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारता है तो जबरदस्त टक्कर देखने को मिल सकती है.
विपक्षी दलों में समाजवादी पार्टी के 47, बीएसपी के सात, कांग्रेस के तीन विधायक हैं. आरएलडी और निषाद पार्टी राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से हटकर वोट करने वाले अपने इकलौते विधायक को निलंबित कर चुकी है. दोनों दलों के विधायक ने राज्यसभा चुनाव में बीजेपी को वोट किया था.