UP: बीजेपी विधायक ने उठाये अपनी ही सरकार पर सवाल, कहा- अफसर खुलकर कर रहे भ्रष्टाचार
सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को नंद किशोर गुर्जर के हंगामे के बाद गाज़ियाबाद के अधिकारियों ने उनके खिलाफ दर्ज मामलों की पूरी फेहरिस्त वायरल करवा दी थी. गुर्जर ने अपने ही मंत्रियों और अधिकारियों पर सीधे तौर पर तमाम आरोप मढ़ दिए.
लखनऊ: मंगलवार को अफसरों पर मनमानी के आरोप लगाकर विधानसभा में धरना देने वाले गाज़ियाबाद के विधायक नंद किशोर गुर्जर को बुधवार के दिन जब सदन में बोलने का मौका मिला, तो उन्होंने अपनी ही सरकार के खिलाफ जमकर गुबार निकाला. गुर्जर ने अपने ही मंत्रियों और अधिकारियों पर सीधे तौर पर तमाम आरोप मढ़ दिए. गुर्जर ने कहा कि अधिकारी अपने आपको ईमानदार समझते हैं, जबकि नेताओं को बेईमान. नंद किशोर यहीं नहीं रुके. उन्होंने अफसरों और उनकी पत्नियों की संपत्तियों की जांच कराने तक की मांग कर दी. उन्होंने अधिकारियों की पत्नियों के एनजीओ की भी जांच किये जाने की जरूरत बताई.
सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को नंद किशोर गुर्जर के हंगामे के बाद गाज़ियाबाद के अधिकारियों ने उनके खिलाफ दर्ज मामलों की पूरी फेहरिस्त वायरल करवा दी थी. इससे आहत विधायक ने सदन में बोलते हुए कहा कि हमने कभी एक रुपया कमीशन नहीं लिया लेकिन हमारे यहां 18 से 22 प्रतिशत कमीशन लिया जाता है. मुझे अपराधी बताया गया जिससे मुझे दुख हुआ है.
विधायक ने कहा कि मुझे न्याय की उम्मीद है. ज़िला गाज़ियाबाद में माफियाओं का बोलबाला है. मेरी मदद की जानी चाहिए. मैंने कभी किसी अधिकारी से कोई काम नहीं कहा है. जो बेईमानी की परंपरा चली आ रही है उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाए. सभी मंत्रियों और अधिकारियों की पत्नियों के एनजीओ की जांच कराई जाए. अभी नंद किशोर के आरोपों से सरकार निपट पाती इससे पहले बीजेपी के ही एक अन्य विधायक हर्ष वाजपेयी ने बात को और आगे बढ़ा दिया.
नंद किशोर के सुर में सुर मिलाते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारियों में भ्रष्टाचार करने की आदत पड़ गयी है. अधिकारियों को लगता है कि सरकार आती-जाती रहती है पर उनकी नौकरी पक्की है इस नाते वो भ्रष्टाचार करते हैं. कल सभी दलों के विधायक हमारे साथ धरने पर थे. सब हमारे समर्थन में बैठे थे. आज मुख्यमंत्री से शाम चार बजे मुलाकात होगी, जहां हम सब अपनी बातें रखेंगे. इस पार्टी में लोकतंत्र है कि हम धरने पर बैठे और अब मुख्यमंत्री से मुलाकात में हम अपनी बात रखेंगे. इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन कुछ बोलने से इनकार कर दिया गया.
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