नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के रुझानों में बीजेपी, एसपी-बीएसपी गठबंधन से पिछड़ रही है. ये दोनों सीटें यूपी के सीएम योगी आदित्यानाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थीं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बंफर जीत हासिल करने वाली बीजेपी के लिए ये नतीजे किसी बड़े झटके से कम नहीं है. रुझानों में पिछड़ने के बाद बीजेपी एक बार फिर अपनी सहयोगी पार्टी शिवसेना के निशाने पर आ गई है.
शिवसेना के नेता संजय राउत ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए इसे एसपी-बीएसपी गठबंधन की जीत नहीं बताया है. उन्होंने कहा, ''मैं ये नहीं मानता कि एसपी-बीएसपी गठबंधन ने काम किया है, मैं मानता हूं कि प्रभु श्रीराम की सबसे ज्यादा निंदा करने वाले एसपी के नेता के लिए आपने जिस दिन रेड कार्पेट डाला उसी दिन प्रभु श्रीराम भी आपके खिलाफ हो गये.
बता दें कि उपचुनाव में बीएपसी के एसपी को समर्थन करने के बाद से ही 2019 में होने वाले चुनाव में दोनों पार्टियों में गठबंधन होने की चर्चा तेज हो गई थीं. हालांकि बीएसपी सुप्रीमो मायावती पहले ही साफ कर चुकी हैं कि अभी उनके समर्थन को गठबंधन ना माना जाए.
लेकिन एक बात साफ है कि बीएसपी-एसपी के साथ आने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ती नज़र आ रही हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 325 सीटें जीती थीं. महज एक साल के भीतर बीजेपी का गढ़ माने जाने वाली गोरखपुर सीट का बीजेपी के हाथ से निकालना किसी बड़े झटके से कम नहीं है. 1998 से ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इस सीट पर लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं. वहीं फूलपूर की सीट पर भी 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ी जीत हासिल की थी.