UP By Elections Exit Poll 2024: उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के मतदान समाप्त हो चुके हैं और अब एग्जिट पोल के नतीजे भी सामने आ रहे हैं और ये नतीजे अब तक के चौंकाने वाले नतीजे है, लेकिन इन सब के बीच समाजवादी पार्टी की सबसे मजबूत सीट पर अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका लगने वाला है. हम बात कर रहे हैं कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट की. 


कानपुर की सीसामऊ सीट अखिलेश यादव की मजबूत सीटों में से एक रही है. सीसामऊ विधानसभा सीट भाजपा व सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है क्योंकि यहां पर एग्जिट पोल भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को जिता रहे हैं. सीसामऊ सीट पर भाजपा से सुरेश अवस्थी मैदान में उतरे हैं. 


क्यों हो रही सीसामऊ सीट की बात?


उत्तर प्रदेश की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें से आठ सीटें तो ऐसी है, जिनके मौजूदा विधायकों के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफे के कारण खाली हुई है, लेकिन जब हम बात सीसामऊ सीट की करते हैं तो यहां यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि यहां से सपा विधायक इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई थी, जिसके चलते इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है.  


कमल खिलाने के लिए जी जान लगा रही भाजपा


सीसामऊ सीट के इतिहास के बारे में बात करें तो साल 1996 में तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी के राकेश सोनकर यहां से चुनाव जीते थे. इतने लंबे समय के बाद भाजपा एक बार फिर यहां कमल खिलाने में जी जान लगा रही है. परिसीमन के बाद यह सीट मुस्लिम बाहुल्य हो गई थी. फिर यहां पर इरफान सोलंकी आर्यनगर से शिफ्ट हुए और 2012 से लेकर 2022 तक वह यहां से चुनाव जीतते रहे.


क्या थे 2022 के नतीजे?


सीसामऊ विधानसभा सीट पर इस बार सपा और कांग्रेस गठबंधन से चुनाव लड़ रही हैं, जो कि भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से इरफान सोलंकी को 79163 वोट मिले थे. कांग्रेस को 5616 वोट मिले थे और भाजपा को 66897. इस बार सपा और कांग्रेस के वोट एक होने के वजह से यहां पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन जिस तरह से एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ रहे हैं वह बता रहे हैं की लड़ाई कांटे की है.


हार के बाद भी भाजपा ने क्यों अवस्थी पर लगाया दांव?


भारतीय जनता पार्टी के सुरेश अवस्थी भले ही दो बार से चुनाव हार रहे हों फिर भी भाजपा ने उन्हें चुनाव में उतारा. इसके पीछे की वजह यह है कि वह विधायक ना रहने के बावजूद भी पूरी तरह से ग्राउंड पर एक्टिव रहे.


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