नई दिल्ली: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान का निधन हो गया है. वे 73 साल के थे. उनके छोटे भाई पुष्पेंद्र चौहान ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित समस्याओं की वजह से उनकी मौत हो गई. 15 जुलाई को उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था.


11 जुलाई को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्‍हें एसजीपीजीआई में एडमिट कराया गया था. इसके बाद उन्हें किडनी और ब्‍लड प्रेशर की समस्‍याएं शुरू हो गईं, जिसके बाद 15 जुलाई को उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया था. बीच में दो बार चौहान की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद फिर पॉजिटिव आई थी.


यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर कहा, “पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी, श्री चेतन चौहान जी के असामयिक निधन का व्यथित कर देने वाला समाचार प्राप्त हुआ. प्रभु श्री राम, श्री चौहान जी के परिजनों को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति एवं दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें. ॐ शांति.”


बतौर क्रिकेटर कैरियर की शुरुआत की


चेतन चौहान का जन्म 21 जुलाई  1947 को हुआ था. उन्होंने अपना करियर एक क्रिकेटर के तौर पर शुरु किया था. एक वक्त मशहूर ओपनर बल्लेबाज सुनील गावस्कर के साथ उनकी जोड़ी बेहद लोकप्रिय थी. पिछले महीने 21 जुलाई को उन्होंने अपना 73वां जन्मदिन मनाया था. उनका जन्म 1947 में बरेली में हुआ था.


भारत के इस पूर्व सलामी बल्लेबाज ने 40 टेस्ट मैचों में 2084 रन बनाए और उनका सर्वाधिक स्कोर 97 रहा. करियर में बिना शतक लगाए (1969-1981) दो हजार रन बनाने वाले वह दुनिया के पहले क्रिकेटर हैं. वैसे बिना शतक लगाए सबसे ज्यादा रन बनाने के रिकॉर्ड शेन वॉर्न के नाम है. उन्होंने (1992-2007) 145 टेस्ट मैचों में 3154 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर 99 रहा था.


गावस्कर और चौहान की जोड़ी ने टेस्ट की 60 पारियों में 54.85 की औसत से 3127 रन बनाए. दोनों ने कुल 11 शतकीय साझेदारियां कीं, जिनमें से 10 पहले विकेट के लिए रहीं.


राजनीतिक सफर
चेतन चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट से 1991 में अमरोहा में चुनाव लड़ा और वे वहां से सांसद चुने गए. इसके बाद एक बार फिर 1996 में भाजपा ने उन्‍हें इसी मैदान में चुनावी जंग के लिए उतारा, लेकिन इस बार वे हार गये. 1998 में चेतन चौहान एक बार फिर सांसद चुने गए. वहीं, साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी उन्‍होंने अपनी किस्‍मत आजमाई, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. फिलहाल वे अमरोहा जिले की नौगांवा विधानसभा के विधायक थे.


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