(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
त्वरित टिप्पणी: कप्तानी पारी से योगी ने किया यूपी फतह
यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी पहली परिक्षा में तो सीएम योगी आदित्यनाथ अच्छे नंबरों से पास हो गए हैं.
नई दिल्ली: योगी ने पूरे चुनाव की कमान खुद आगे आकर कप्तान की तरह संभाली. बैकरूम मैनेजमेंट की ज़रूरत उनको यूपी के मज़बूत संगठन होने के नाते पड़ी नहीं. टिकटों के वितरण में योगी इतने सक्रिय नहीं थे, जितना कि चुनाव के बाद.
टिकटों के बांटने में ज़्यादातर प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल की भूमिका रही. मगर चुनावों का चेहरा स्थानीय स्तर पर भी प्रत्याशी का न होकर योगी का ही रहा. इन चुनावों को योगी ने कभी भी विधानसभा या संसदीय चुनाव से कमतर नहीं लिया.
उन्होंने 14 दिनों में 40 सभाएं की. 14 नवम्बर को अयोध्या से अपना प्रचार शुरू किया था. इनसे पहले किसी और मुख्यमंत्री निकाय चुनाव में प्रचार के लिए नहीं उतरा था. फिरोजाबाद को छोड़कर योगी सभी जगह गए और आक्रामक प्रचार किया. 19 नवम्बर को गोरखपुर पहुंच गए जहां करीब 4 दिन रहे.
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योगी परिश्रमी और निजी तौर पर ईमानदार और धुन के पक्के या ज़िद्दी भी हैं. इस बार लड़ाई कठिन यूं थी क्योंकि सपा और बसपा पहली बार सिंबल पर मैदान में थीं. मगर योगी ने क़ानून व्यवस्था के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन और ईमानदारी के साथ-साथ अपनी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को पूरे प्रचार के दौरान आगे रखा. अयोध्या से अभियान की शुरुआत कर ये उन्होंने स्पष्ट कर दिया.
विकास के मोर्चे पर सरकार के पास गिनाने को उल्लेखनीय कुछ खास नहीं था, लेकिन अभी योगी के प्रशासन में जनता को ईमानदार प्रशासन की झलक ज़रूर दिखी. हालांकि बूथ स्तर पर विधानसभा चुनाव के समय से तैयार काडर भी सक्रिय रहा, लेकिन वास्तव में वोटरों को घर से निकालने के लिए बीजेपी की मशीनरी ने वैसे काम नहीं किया, जैसे लोकसभा या विधानसभा चुनाव में किया था. कम वोटिंग प्रतिशत और बसपा व सपा की मज़बूत चुनौती के बावजूद योगी व बीजेपी के प्रति अभी ख़ासतौर से मध्यमवर्गीय जनविश्वास ने फिर यहां भगवा लहरा दिया.