योगी ने कहा, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कुशल रणनीति में यह कुशल चुनाव प्रबंधन की विजय है. यह ऐतिहासिक सफलता है. पूर्वोत्तर की जनता का यह प्रधानमंत्री मोदी के विकास में विश्वास है. पहली बार कोई सरकार है जिसने पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास के लिए योजनाएं बनाईं. विकास योजनाओं में नहीं धरातल पर नजर आना चाहिए. इस जीत पर मैं प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी को बधाई देता हूं.''
त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ ने खूब प्रचार किया है. यहां पर आदित्नाथ ने कुल 9 रैलियां की थीं. बीजेपी ने यहां चुनावी रैली में पूरी ताकत लगा दी है. पीएम मोदी ने यहां पर चार रैलियां की हैं.
आपको बता दें कि त्रिपुरा में विधानसभा की 60 सीटें हैं लेकिन 59 सीटों पर ही चुनाव हुए हैं क्योंकि चरिलम सीट पर CPM उम्मीदवार के निधन से वहां चुनाव नहीं हुआ. त्रिपुरा में 25 सालों से यानि 1993 से सीपीएम की सरकार है. लेकिन इस बार बीजेपी ने उनके किले में सेंध लगा दी है. रूझानों में बीजेपी 40 से ज्यादा सीटों पर आगे चल रही है वहीं लेफ्ट 16 सीटों के आस पास है. यहां पढ़ें अपडेट
2013 के आंकड़ें
साल 2013 में बीजेपी का यहां खाता भी नहीं खुला था. 2013 के चुनाव में बीजेपी ने त्रिपुरा में 50 उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 49 की जमानत जब्त हो गई थी. मात्र 1.87 फीसदी वोट मिलने के कारण यह पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. 2013 के विधानसभा चुनाव में सीपीएम को 49 और सीपीआई को एक सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस पार्टी को 10 सीटों पर जीत मिली थी.
त्रिपुरा में पार्टियों की हार-जीत के मायने
सीपीएम हारी तो लेफ्ट का ढाई दशक पुराना किला ढहेगा. सिर्फ केरल में लेफ्ट की सरकार बचेगी. हार से लेफ्ट पार्टी में नेतृत्व पर सवाल उठ सकते हैं.
बीजेपी जीती तो पूर्वोत्तर में पार्टी को एक और राज्य में कामयाबी मिलेगी. गैर हिंदी राज्य में जीत को उपलब्धि कहा जाएगा. सीएम योगी के प्रचार के असर पर मुहर लगेगी.