UP CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi) से जुड़े एक आपराधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामला 2007 में भड़काऊ भाषण देने के आरोप का है. यूपी सरकार ने मामले में मुकदमा चलाने की इजाज़त देने से मना कर दिया था.


हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया था. याचिकाकर्ता ने इसे चुनौती दी है. याचिकाकर्ता परवेज़ परवाज का कहना था कि तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ के भाषण के बाद 2007 में गोरखपुर में दंगा हुआ. इसमें कई लोगों की जान चली गई. साल 2008 में दर्ज एफआईआर की राज्य सीआईडी ने कई साल तक जांच की. उसने 2015 में राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी. 


मई 2017 में राज्य सरकार ने इससे मना कर दिया. जब राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया, तब तक योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे. ऐसे में अधिकारियों की तरफ से लिया गया यह फैसला दबाव में लिया गया हो सकता है.


'अब तक कोई सबूत नहीं मिला'
योगी के लिए पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि असल में बात को इसी लिए लंबा खींचा जा रहा है क्योंकि योगी अब मुख्यमंत्री बन चुके हैं. कई साल जांच के बाद सीआईडी को तथ्य नहीं मिले. उस दौरान राज्य में दूसरी पार्टियों की सरकार थी. 2017 में राज्य के कानून विभाग और गृह विभाग ने मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना किया. तब उसकी वजह भी यही थी कि पुलिस के पास मुकदमें के लायक पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इसे पहले निचली अदालत और 2018 में हाई कोर्ट भी मान चुके हैं. 


इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा (Deepak Mishra) की अध्यक्षता वाली बेंच ने 20 अगस्त 2018 को नोटिस जारी किया था. आज मौजूदा चीफ जस्टिस एन वी रमना (NV Ramana) की बेंच ने इस पर आदेश सुरक्षित रखा. इस सुनवाई की एक हैरान करने वाली बात यह रही कि याचिकाकर्ता परवेज़ के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने बिना कोई कारण बताए जिरह करने से मना कर दिया. इसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से वकील फ़ुजैल अय्यूबी ने बहस की.


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