यूपी के डिप्टी सीएम Keshav Prasad Maurya बोले- अयोध्या-काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है
UP Elections: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का मथुरा वाला ट्वीट बता रहा है कि अपनी चुनावी विजय यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी सिर्फ अयोध्या के भरोसे नहीं रहना चाहती.
Uttar Pradesh Chunav: अयोध्या में जब योगी आदित्यनाथ विष्णु महायज्ञ में पूर्णाहूति दे रहे थे, उससे चंद घंटों पहले यूपी के चुनावी यज्ञ में उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य ने हिन्दुत्व के घी में ध्रुवीकरण की समिधा के साथ मथुरा वाली आहुति डाल दी. अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है, जय श्रीराम, जयशिवशम्भू. यूपी चुनाव में चंद महीनों का वक्त बाकी है और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का ये ट्वीट बता रहा है कि अपनी चुनावी विजय यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी सिर्फ अयोध्या के भरोसे नहीं रहना चाहती. भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ भावनाओं का ज्वार कम हो गया है लिहाजा अब रणनीति मथुरा को केन्द्र में लाने की है.
बीजेपी नेता लगातार दे रहे बयान
बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा, अयोध्या और काशी के बाद अब मथुरा की बारी है और मुस्लिम समुदाय से अपील करता हूं कि वह वहां पर अपना कब्जा छोड़ें और इससे देश की आपसी एकता के लिए भी एक अच्छा संदेश जाएगा. यह राजनीति का मुद्दा नहीं बल्कि सालों से चला आ रहा है और उसी बात को एक बार फिर से हम दोहरा रहे हैं. वहीं मथुरा के मंदिर वाले बयान पर बीजेपी सांसद बाबा बालक नाथ ने कहा कि जिस तरह से अयोध्या को लेकर के एक लंबा संघर्ष चला उम्मीद है मथुरा को लेकर भी चल रहा हमारा संघर्ष जल्द सफल होगा.
अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) December 1, 2021
मथुरा की तैयारी है #जय_श्रीराम #जय_शिव_शम्भू #जय_श्री_राधे_कृष्ण
वहीं यूपी के राज्यमंत्री रघुराज सिंह तो मरने-मारने की बात कहते आए. उन्होंने कहा, मथुरा में हिन्दुत्व का दैवैय स्थान है. हिन्दुओं के आराध्य देव हैं भगवान कृष्ण. इसलिए कोई बलि चढ़ानी पड़े, हम बलि चढ़ाने को तैयार रहते हैं. हमने तो हमेशा कहा भी है जो हिन्दुत्व की बात करेगा, वही देश में राज करेगा. मथुरा का नाम आते ही मंत्रीजी के तेवर गर्म होने लगे. तो क्या अब मथुरा के सहारे बीजेपी अपनी चुनावी नैय्या पार कराने की कोशिश में है.
दरअसल अयोध्या मथुरा और काशी का सीधा कनेक्शन हिंदुत्व से है और ये वो कनेक्शन है जिसका असर यूपी की राजनीति में 2014 से दिखाई दे रहा है. यूपी में 14 साल के वनवास के बाद मिली सत्ता को बीजेपी इसी हिंदुत्व से सींचते रहना चाहती है ताकि वोटों की फसल लहलहाती रहे. हिन्दुत्व के इसी मॉडल को बीजेपी ने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण और अयोध्या में होने वाले भव्य कार्यक्रमों के जरिए आगे बढ़ाया और अब काशी में इसका अगला अध्याय लिखा जाएगा.
वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम लगभग पूरा हो चुका है. 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे. काशी विश्वनाथ धाम के इस नए अवतार को प्रचारित करने के लिए लगभग एक महीने तक भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. बीजेपी इन कार्यक्रमों के जरिए हिन्दुत्व की भावना में उभार लाने की कोशिश में है. अब बीजेपी का प्लान समझिए.
- अवध इलाके के लिए अयोध्या
- पूर्वांचल के लिए काशी विश्वनाथ धाम
- बृज और पश्चिमी यूपी के लिए बांके बिहारी
विपक्ष भी समझ रहा बीजेपी की रणनीति
यानी पूरे यूपी को हिन्दुत्व के भगवा रंग में रंगने की तैयारी है. विपक्ष भी बीजेपी की इस रणनीति को समझ रहा है. विपक्ष निशाना तो साध रहा है लेकिन जरा बच के. आप नेता संजय सिंह ने कहा, ये लोग सिर्फ मंदिर के नाम पर राजनीति करते हैं. अयोध्या में मंदिर का चंदा खा गए और मंदिर भी नहीं बनवाया सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, बीजेपी के पास कोई मुद्दा नहीं है और चुनावों में उसे हार दिखाई दे रही है तो वो अपने पुराने मुद्दे जाति और धर्म पर लौट आयी है. कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, चुनाव आते-आते बीजेपी अयोध्या में मंदिर निर्माण का श्रेय लेने की जुगत में है जबकि मंदिर का निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है और सभी ने इसका स्वागत किया था.
मौका चुनाव का है, इसलिए बीजेपी हो या विरोधी दल हर कोई देख रहा है कि वोटों का ऊंट कैसे उसके करवट बैठता है. 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के वक्त अयोध्या सिर्फ झांकी है काशी मथुरा बाकी है के नारों से भावनाओं का उभार होता था. लेकिन सत्ता में आने के लिए बीजेपी ने काशी और मथुरा के एजेंडे को किनारे कर दिया.
क्या अटल की बात भूल गए मौर्य?
अटल बिहारी वाजपेयी ने एक न्यूज़ चैनल के इंटरव्यू में कहा था कि हमारे एजेंडे में काशी-मथुरा नहीं है. आगे भी नहीं होंगे. हो सकता है कि सभी प्रश्नों को समझदारी के साथ आपस की बातचीत से हल कर लिया जाए. जब हम कहते हैं कि हमारे एजेंडे में नहीं है तो फिर इस बात पर विश्वास करना चाहिए. अन्य संगठन क्या कहते हैं ये उनके विचार हैं वो अपने विचारों के हिसाब से चलेंगे लेकिन हम अगर सरकार बनाते हैं तो अयोध्या की पुनरावृत्ति नहीं होगी ये विश्वास दिलाते हैं.
तो क्या केशव प्रसाद मौर्य अटल बिहारी वाजपेयी के उस वादे को भूल गए...क्या चुनाव की जीत पार्टी के सबसे बड़े नेता के वादे से बड़ी हो गई या मथुरा को उछालकर बीजेपी सिर्फ गोलपोस्ट बदलना चाहती है.
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