UP Election 2022: रामपुर में दिलचस्प हुई लड़ाई, आज़म खान परिवार से है नवाब ख़ानदान का मुकाबला
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में रामपुर में सियासत की जंग काफी रोमांचक होने जा रही है. जहां एक ओर बीजेपी गठबंधन से हैदर अली खान मैदान में होंगे तो उनके पिता कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं.
UP Election 2022: रामपुर ज़िले में सियासत की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी जा रही है. इसमें एक तरफ़ आज़म खान का परिवार तो दूसरी तरफ़ रामपुर के नवाब ख़ानदान हैं. रामपुर की स्वार टांडा सीट से आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम मैदान में हैं और उनके खिलाफ अपना दल से उम्मीदवार हैं नवाबों की रियासत के चिराग हैदर अली खान. 2014 के बाद यह पहली बार है, जब बीजेपी गठबंधन ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है.
इस बार यहां चुनाव में दिलचस्प बात यह है कि बेटा बीजेपी गठबंधन से तो पिता कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं. हैदर अली खान उर्फ हमजा मियां कांग्रेस नेता नवाब काजिम अली खान उर्फ नवेद मियां के बेटे हैं. नवेद मियां 2017 में स्वार सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें अब्दुल्ला आजम से 65 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था.
अब्दुल्ला आजम के लिए होगी साख बचाने की लड़ाई
पिछले चुनाव में हैदर अली के पिता नवेद मियां की अब्दुल्ला आजम के हाथों हुई हार का बदला क्या वो ले पाएंगे, इस सवाल के जवाब में हैदर अली खान का कहना है कि पिछले चुनाव में अब्दुल्ला की जीत केवल इसलिए हुई क्यूंकि उस वक्त प्रशासन उनके साथ था. अभी-अभी अपना दल में आए हैदर अली विकास की राजनीति बात करते हैं जबकि आजम खान पर केवल दंगे करवाने के आरोप लगाते हैं.
स्वार टांडा विधानसभा सीट की बात करें तो यहां की लड़ाई इसलिए और भी दिलचस्प हो गयी है क्योंकि अब्दुल्ला आजम के लिए ये साख की लड़ाई है. साल 2017 विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी गयी. अब्दुल्ला को कम उम्र में चुनाव लड़ने और फर्जी कागजात लगाने के चलते विधायकी रद्द कर उन्हें जेल भेज दिया गया था. करीब 23 महीने बाद अब्दुल्ला आजम 15 जनवरी को जेल से बाहर आए हैं. अब्दुल्ला आजम चुनाव तैयारियों में पूरे जी जान से जुटे ज़रूर हैं लेकिन वो बिना नाम लिए रामपुर के पूर्व डीएम पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि जब तक वो मुरादाबाद में रहेंगे निष्पक्ष चुनाव नहीं हो पाएंगे.
बीजेपी का गढ़ थी स्वार सीट
अब्दुल्ला आज़म जिस स्वार सीट से दूसरी बार ताल ठोंक रहे हैं वो स्वार सीट कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी. यहां 1989 से बीजेपी के शिवबहादुर सक्सेना 2002 तक चार बार विधायक रहे. लेकिन बाद में ये पार्टी रामपुर के नवाबी खानदान का गढ़ बन गई. इस सीट से नवाब कासिम अली 2002 से 2017 तक लगातर तीन बार विधायक रहे. लेकिन 2017 में उन्हें अब्दुल्ला आजम के सामने हार का सामना करना पड़ा.
वहीं हैदर अली के पिता, काजिम अली इस बार रामपुर में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. सपा से यहां क़द्दावर नेता आजम खां मैदान में है हालांकि फ़िलहाल वो सीतापुर जेल में बंद है और उनके लिए जनता से वोट उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ही मांग रहे हैं.
मुश्किलों में है आजम परिवार
रामपुर सीट मुस्लिम बहुल सीट है लेकिन यहां पर बीजेपी ने मुक़ाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है. सूबे की सियासत में मुस्लिम राजनीति का बड़ा चेहरा माने जाने वाले सपा नेता मोहम्मद आजम खान आजकल सीतापुर की जेल में कैद हैं. उन्हें सलाखों के पीछे भिजवाने में बीजेपी युवा नेता आकाश सक्सेना का बड़ा हाथ रहा है. दो पैन कार्ड, दो पासपोर्ट, दो जन्म प्रमाण पत्र समेत कई मामलों में आकाश सक्सेना सीधे-सीधे मुकदमें में वादी हैं तो कई में कोर्ट में आजम और उनके परिवार पर चार्ज फ्रेम कराने में मजबूत गवाही दे चुके हैं.
रामपुर की राजनीति में आजम खान का वर्चस्व रहा है. वे खुद रामपुर की सीट से 9 बार के विधायक हैं. रामपुर के नवाब ख़ानदान से आज़म खान की अदावत किसी से छिपी नहीं है, ऐसे में इस बार यहां की 2 सीटों पर इन दोनो परिवारों की सीधी टक्कर में कौन बाज़ी मारेगा हर कोई जानना चाहेगा.
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