Akhilesh Yadav Meets Shivpal Yadav: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले नेताओं के बीच मुलाकातों का दौर जोरों पर है.  समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) गुरुवार को अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) से मुलाकात की. अखिलेश ने शिवपाल से मुलाकात उनके घर पर जाकर की. 


सूत्रों के मुताबिक, ये मुलाकात 45 मिनट तक चली, जिसमें कई बातों पर मंथन हुआ. गठबंधन और विलय दोनों विकल्पों पर चर्चा हुई है. शिवपाल 25 से 40 सीट अपने हिस्से में चाहते हैं. शिवपाल ने समीकरण सहित उन सीटों की जानकारी अखिलेश को दी है. दूसरा विकल्प विलय का है. विलय की सूरत में शिवपाल को प्रदेश स्तर पर संगठन में या राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर समायोजित करने को लेकर मंथन हुआ.







दरअसल, अखिलेश यादव की नजर यूपी की छोटी पार्टियों पर लगी है. पिछड़ी जातियों वाले दलों का महागठबंधन बनाकर अखिलेश चुनावी लीड की कोशिश में हैं. अब तक समाजवादी पार्टी ने जयंत चौधरी के आरएलडी, ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, केशव देव मौर्य के महान दल, संजय चौहान की जनवादी पार्टी एस, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और अपना दल कमेरावादी से गठबंधन कर चुके हैं. इससे पहले शिवपाल  ने अपनी पार्टी के कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी. हो सकता है उनकी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय हो जाए.


अखिलेश ने दिया था ये बयान


अखिलेश यादव ने कहा भी था कि समाजवादी पार्टी का प्रयास रहा है कि वह छोटे दलों के साथ गठबंधन करे. स्वाभाविक रूप से, हम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (पीएसपी-एल), चाचा शिवपाल सिंह यादव की पार्टी के साथ भी गठबंधन करने जा रहे हैं. सपा उन्हें पूरा सम्मान देगी. बता दें कि शिवपाल मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं. शिवपाल अखिलेश यादव की सरकार में लोक निर्माण विभाग और सिंचाई मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं.  2017 में अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव से पार्टी की बागडोर संभालने के बाद, शिवपाल ने सपा से नाता तोड़ लिया और 2018 में अपनी पार्टी बना ली थी. 


2017 में सपा की करारी हार हुई थी. 2012 में 224 सीटों पर कब्जा करने वाली सपा उस 2017 के चुनाव में सिर्फ 47 सीट जीत पाई थी. सपा की हार की वजह परिवार का झगहा भी रहा था. शिवपाल ने हमेशा खुद को मुलायम सिंह यादव के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया. उन्होंने ये दावा किया था उन्होंने मुलायम सिंह यादव के साथ इस पार्टी को खड़ा किया है. वह हमेशा पार्टी में अपने संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते थे. 2012 में अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के दौरान पार्टी में उनकी भी एक शक्तिशाली भूमिका थी. 





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