UP Election 2022: सामाजिक समीकरण साधने में कौन मारेगा बाज़ी, जानें- मुरादाबाद का हाल
UP Election: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Elections) में सभी दलों की कोशिश है कि वोटरों (Voters) को साधकर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की जाए. आईए जानते हैं मुरादाबाद (Moradabad) का हाल.
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का मुरादाबाद (Moradabad) ज़िला समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ माना जाता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी (BJP) लहर के आगे सब दल और समीकरण फीके पड़ गए थे, उस वक्त भी इस जिले की 6 में से 4 सीटों पर सपा (SP) जीती थी जबकि बाक़ी दो सीटें बीजेपी (BJP) के खाते में गई थीं.
इस बार के चुनाव में भी अखिलेश यादव की पार्टी ने मुरादाबाद की सभी 6 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है तो वहीं बीजेपी ने सभी हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं इस उम्मीद से की यहां हिंदू वोटों का बिखराव न हो और बीएसपी और अन्य दलों द्वारा मुस्लिम उम्मीदवार उतारने से वोटों का बिखराव होने की स्तिथि में भी बीजेपी को फ़ायदा हो.
मुरादाबाद में आबादी की बात करें तो धर्म के अनुसार यहां 52.14% हिंदू हैं तो वहीं 47.12% मुस्लिम और बाक़ी धर्म के लोग नाम मात्र के. यानि यहां हिंदू और मुस्लिम आबादी लगभग बराबर है जिसके चलते यहां राजनीतिक और सामाजिक तौर पर इन दोनों के बीच समीकरण साधे जाते हैं. उत्तर प्रदेश के चुनाव में अलग-अलग इलाके में जिस तरह हर जाति को साधा जा रहा है ठीक वैसे ही मुस्लिम वोटों के लिए भी हिसाब बिठाया जा रहा है.
मुरादाबाद में वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर मोहम्मद मुस्तकीम के मुताबिक़ सपा की सभी सीटों परमुस्लिम उम्मीदवार उतारकर और साथ ही अपने कोर वोट के सहारे जीतने की रणनीति है. वहीं बीजेपी हिंदू वोटों के ध्रुविकरण पर टिकीहै
माना जाता है कि पश्चिमी यूपी में सपा का वर्चस्व कमोबेश कम है.कई जिलों में मुस्लिमों की आबादी 40-50 फीसदी होने के बावजूदसपा के लिए नतीजे उतने प्रभावशाली नहीं रहे हैं और इसकी वजह ये रही कि बसपा से मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं और मुस्लिम-दलित का गठजोड़ आसानी से चुनाव जीत जाता है. यही गठजोड़ मुरादाबाद में सपा के पक्ष में रहने से उसकी मज़बूती बनी.
हालांकि पिछले चुनाव में बीजेपी मुस्लिम बहुल कहलाने वाली सीटों पर मुस्लिम वोटों के बंटवारे की वजह से ज्यादातर सीटें कब्जाने में कामयाबी रही थी. ऐसे तमाम समीकरणों के आधार पर सपा और बीजेपी अपनी-अपनी जीत का दम भर रहे हैं, मुद्दों की बात होती दिख नहीं रही. हमने यहां के लोगों से जाना कि क्या हिंदू और मुस्लिम वोट बैंक ही इस चुनाव में जीत-हर का पैमाना है तो उनके मुताबिक़ यहां बेरोज़गारी और महंगाई से सब परेशान है लेकिन इसकी बात नहीं होती.
इस बार चुनाव में सपा मुसलमानों के बीच ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि बीजेपी को सिर्फ वही टक्कर दे सकती है लिहाजा मुसलमान सिर्फ़ उसे वोट दें. वहीं बीजेपी की कोशिश है कि मुस्लिम वोट सपा, बीएसपी, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी में बंटे तो उसकी राह आसान हो.
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