Uttar Pradesh Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव और जयंत चौधरी एक साथ आ रहे हैं. समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच गठबंधन का ऐलान कल हो सकता है. राजनीतिक जानकार ये तो तय मान रहे हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी को नुकसान होगा. लेकिन इसका फायदा किसे मिलेगा? अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने बीजेपी के इस नुकसान का पूरा फायदा उठाने की तैयारी कर दी है. जयंत चौधरी की पार्टी का पश्चिमी यूपी के 13 जिलों में प्रभाव माना जाता है. अगर ये गठबंधन वोट बटोरने में कामयाब रहा, तो बीजेपी की राहें वाकई मुश्किल हो सकती हैं. 


मंगलवार शाम को 4 बजकर 33 मिनट पर राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अखिलेश के साथ अपनी एक फोटो ट्वीट की. इस तस्वीर ने उत्तर प्रदेश में बन रहे नए राजनीतिक समीकरण पर मुहर लगा दी. अखिलेश यादव के साथ इस फोटो पर जयंत चौधरी ने लिखा, "बढ़ते कदम."  


 






इसके सिर्फ 15 मिनट बाद अखिलेश यादव ने भी एक फोटो ट्वीट किया. उन्होंने भी जयंत के साथ अपनी एक तस्वीर साझा की और लिखा, "श्री जयंत चौधरी जी के साथ बदलाव की ओर." 


 






पर सवाल ये है कि क्या इस गठबंधन से अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन पाएंगे ? आरएलडी की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 13 ज़िलों में अच्छी पकड़ और मज़बूत कैडर है और ये भी कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन की वजह से आरएलडी को अच्छी लीड मिल सकती है. समाजवादी पार्टी और आरएलडी के गठबंधन की कोशिश है कि वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ किसानों की नाराजगी का फायदा उठाएं.


अखिलेश यादव की अपनी मजबूरी ये है कि पश्चिमी यूपी में उनका वोटबैंक नहीं है. मुसलमान तो उन्हें वोट दे सकते हैं, लेकिन क्या जाट वोटर समाजवादी पार्टी को वोट देंगे. इसीलिए आरएलडी से गठबंधन करने को अखिलेश तैयार हैं. जयंत चौधरी से कुछ दिन पहले एबीपी न्यूज ने बात की थी. और तब भी उन्होंने गठबंधन के पूरे संकेत दिये थे. उन्होंने कहा था, "अभी चाय पी रहे हैं चीनी घोली है और बहुत जल्द मिठाई खिलाएंगे. मिठाई आप लोगों को खिलाएंगे."


एबीपी न्यूज और सी वोटर के सर्वे में भी हमने ये सवाल पूछा था कि जयंत चौधरी से गठबंधन का अखिलेश को फायदा या नुकसान ? जिसमें 60 फीसदी लोगों ने कहा था कि इससे अखिलेश को फायदा होगा, जबकि 40 फीसदी ने नुकसान का अनुमान लगाया था. जानकारी ये मिल रही है कि कल गठबंधन का ऐलान हो सकता है. लेकिन अखिलेश यादव इससे पहले दो और चुनावी गठबंधन कर चुके हैं. 


2017 विधानसभा में अखिलेश-राहुल
2019 लोकसभा में अखिलेश-मायावती 


2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी से गठबंधन किया. गठबंधन बुरी तरह से हारा. 2019 में अखिलेश यादव ने मायावती से हाथ मिलाया. तब भी गठबंधन हारा.


जब हारे थे यूपी के 'दो लड़के'


2017 विधानसभा चुनाव 


एसपी             47 सीट
कांग्रेस            07 सीट



नहीं चला अखिलेश-मायावती का गठबंधन 


2019 लोकसभा चुनाव 


एसपी              05 सीट
बीएसपी           10 सीट 


2017 के लोकसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की कांग्रेस से हाथ मिला लिया था. दोनों के बीच गठबंधन हुआ. अखिलेश ने राहुल को 100 से ज्यादा सीटें दीं. लेकिन ये गठबंधन बुरी तरह से हार गया. समाजवादी पार्टी को 47 और कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिलीं. इसी तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश और मायावती के बीच गठबंधन हुआ. लेकिन समाजवादी पार्टी को 5 और बीएसपी को सिर्फ 10 लोकसभा सीटें मिलीं और उसके बाद मायावती ने गठबंधन तोड़ भी दिया. इसीलिए अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के गठबंधन पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार ये गठबंधन चलेगा ? 


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