UP Assembly Election 2022: राजनीतिक तौर पर हाथरस में तीन विधान सभा की सीटें है जिनकी दो पर बीजेपी का क़ब्ज़ा है और एक पर बसपा का. सदियों से इसे बसपा का गढ़ माना गया है लेकिन पिछले यानी की 2017 के चुनाव में, इसमें थोड़ा परिवर्तन आया. क्या इस बार हाथरस कांड के आधार पर यह समीकरण बदलेगा. दरअसल साल 2020 में हाथरस कांड ने पूरे देश को दहला दिया था. उसके बाद सीबीआई जांच हुई और अभी फ़िलहाल जाँच की चार्जशीट हो चुकी है इस कांड का असर इस चुनाव में जरूर देखने को मिल सकता है.
abp की टीम चुनावयात्रा के दौरान पीड़िता के परिवार के पास पहुंची. टीम ने उनसे जानने की कोशिश की कि इस समय चुनावी माहोल में क्या स्थिति है. क्या आपको लगता है आपको आपका इंसाफ़ मिला है? इसके जवाब में पीड़ित परिवार ने कहा कि इस घटना को पूरे एक डेढ़ साल हो गए हैं लेकिन हम अभी तक इन्साफ के इंतज़ार में हैं. हमें अभी तक इंसाफ नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि ये मामला फिलहाल कोर्ट में चल रहा है.
स्थिति जैसी थी वैसी ही चल रही
उन्होंने कहा कि मामले की स्थिति जैसी थी वैसी ही चल रही है. जबकि इसकी प्रक्रिया को चलते हुए काफी दिन हो गयी हैं और चुनाव के कारण प्रक्रिया अब थोड़ा और ज़्यादा कम हो चुका है. परिवार ने कहा कि पहले कोर्ट में डेट तो पड़ती थी अब वो भी नहीं पड़ रही. उन्होंने कहा कि इन डेढ़ सालों से हमे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. हालत और ख़राब हो गयी है. काफ़ी दिक्कतें जो हमने सही है और अभी दिक्कतें ही सह रहें हैं.
अभी तक नहीं मिला न्याय
उनसे पूछा गया कि हाथरस की जब बात होती है तो पहले हींग रंग की चर्चा होती थी लेकिन अब इस कांड की बात होती है. इस बदली हुई तस्वीर को कैसे देखते हैं? जवाब में उन्होंने कहा कि इसपर हम कुछ नहीं कह सकते लेकिन हमलोग अपना बता सकते हैं की हमलोग अभी बहुत खरब स्थिति में हैं. अभी तक न्याय नहीं मिला है हम कही जा नहीं सकते हैं सरकार न्याय नहीं दे रही है. आप जो बोल रहे है की हाथरस में हींग से पहले इसकी कांड की बात होती है यह एक बहुत बड़ा धब्बा है. यह एक ऐसी चीज़ हैं जिसको कितनी भी कोशिश कर ले मिटा नहीं पाएंगे. जिस तरह से यह अपराध हुआ वो सबके सामने है सकिकत तो हमे पता ही हैं. हाथरस की इस घटना के बारे में सब जान गए है.
ये भी पढ़ें: संसद में दिए PM Modi के बयान पर घमासान, केजरीवाल ने बताया झूठ, कांग्रेस ने कहा- बिना योजना के लॉकडाउन थोपा था