UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लोकसभा (Loksabha) के बाद सबसे अहम चुनाव है, इसीलिए बीजेपी (BJP) ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. साथ ही उसका चुनावी चक्रव्यूह भी तैयार हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) तक की मोर्चेबंदी तय हो गई है. अब बीजेपी देश के सबसे बड़े राज्य के लिए अपनी रणनीति का चक्रव्यूह बनाकर खड़ी है. इस व्यूह में तीन द्वार हैं और इसके केन्द्र में है यूपी की जनता, जिनके दिलों तक बीजेपी विपक्ष को पहुंचने नहीं देना चाहती.


पीएम मोदी के पास विकास वाला अस्त्र


चक्रव्यूह के पहले द्वार पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिनके पास विकास वाला अस्त्र है.  पीएम मोदी यूपी में जहां भी जा रहे हैं, विकास की बात कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को गिना रहे हैं. डबल इंजन की सरकार की रफ्तार की बात कर रहे हैं. पीएम मोदी ने यूपी में कई योजनाओं का उदघाटन और शिलान्यास कर दिया है जो चुनाव से पहले जनता के दिल तक सीधे पहुंचने का रास्ता बना रहा है.



  • यूपी में 9 मेडिकल कॉलेज का उदघाटन

  • जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास

  • पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का उदघाटन

  • गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास

  • कानपुर मेट्रो का उदघाटन

  • काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उदघाटन




(सीएम योगी के साथ पीएम मोदी)

सिर्फ यही नहीं ऐसी कई योजनाओं को यूपी में प्रधानमंत्री ने चुनावी मैदान में उतार दिया है, लेकिन बीजेपी को पता है कि सत्ता का रास्ता सिर्फ विकास के रास्ते तय नहीं होता है, इसीलिए चक्रव्यूह के दूसरे द्वार पर लगाया गया है पार्टी के दो सबसे मजबूत सिपहसालारों को.


हिन्दुत्व का दांव बीजेपी के लिए ब्रह्मास्त्र


बीजेपी के चक्रव्यूह के दूसरे द्वार पर गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जो हिन्दुत्व के रास्ते विरोधियों को धराशाई करने का मंसूबा लेकर उतरे हैं. हिन्दुत्व का दांव बीजेपी के लिए वो ब्रह्मास्त्र है, जो कभी खाली नहीं जाता है. और इसी हिन्दुत्व वाली लाइन को और धार देने के लिए चक्रव्यूह के आखिरी द्वार पर हैं. बीजेपी के स्थानीय नेता और मंत्री जो खुलकर चुनाव को हिन्दू मुस्लिम बनाने में लगे हैं.


तीसरी लाइन में यूपी के स्थानीय नेता हैं, जो सीधे सीधे ध्रुवीकरण कराने के लिए कड़े बयान दे रहे हैं. यूपी के मंत्री आनन्द स्वरूप शुक्ला ने कहा, ''भारत की आत्मा अल्लाहु अबकर में नही बल्कि जय श्रीराम और हर हर महादेव में बसती है. बाबर-औरंगजेब से अपने आप को जोड़ने वाले को मटिया मेट कर दिया जाएगा.'' वहीं, बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ''मैं यह नहीं कहता कि हर मुसलमान आतंकवादी होता है, लेकिन आतंकवादी मुसलमानों में ही पाए जाते हैं.''




(सीएम योगी आदित्यनाथ)

बीजेपी के इस चक्रव्यूह से विपक्ष को मात मिलेगी क्या?


यानि एक हाथ में विकास और दूसरे में ध्रुवीकरण की आस. ऐसे में सवाल है कि बीजेपी के इस चक्रव्यूह से विपक्ष को मात मिलेगी क्या? लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है और क्या जनता के लिए हिन्दू मुसलमान की बात उनके बुनियादी मुद्दों से ज्यादा बड़ी है. जनता के लिए रोजी रोटी घर रोजगार का मुद्दा तो है, लेकिन चुनावी माहौल में हवा का रुख बदलता है तो इतिहास गवाह है कि हिन्दू मुस्लिम वाला दांव भी खूब चलता है.


विपक्ष में होते हुए बीजेपी के लिए हिन्दुत्व और हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे उस रामबाण की तरह रहे, जिसने उसे सत्ता के दरवाजे तक पहुंचा दिया, लेकिन जब आप सत्ता में होते हैं तो बुनियादी मुद्दों की अहमियत बढ़ जाती है, क्योंकि शासन का काम लोगों के जीवन को बेहतर बनाना होता है. लेकिन यूपी के चुनावों में काम से ज्यादा राम का नाम बोलता रहा है और यही वजह है कि बीजेपी विकास के साथ उसे भी छोड़ना नहीं चाहती.


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