UP Elections 2022: हस्तिनापुर विधानसभा सीट का दिलचस्प संयोग, यहां जिस दल को मिली जीत, उसी को मिली सूबे की सत्ता
UP Elections 2022: यूपी में मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट का एक दिलचस्प संयोग है. इस सीट पर जिस पार्टी का विधायक जीतता है, सूबे की सत्ता पर भी वही पार्टी विराजमान होती है.
![UP Elections 2022: हस्तिनापुर विधानसभा सीट का दिलचस्प संयोग, यहां जिस दल को मिली जीत, उसी को मिली सूबे की सत्ता UP Elections 2022: know the intresting fact about meerut's hastinapur assembly seat UP Elections 2022: हस्तिनापुर विधानसभा सीट का दिलचस्प संयोग, यहां जिस दल को मिली जीत, उसी को मिली सूबे की सत्ता](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/12/22/e3228fcce8ee34c05734bd45aaac2a77_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
UP Elections 2022: देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा (UP Assembly Elections 2022) के चुनाव होने हैं. हर बार की तरह इस बार भी चुनाव में कई दिलचस्प मिथकों के टूटने पर सबकी नज़रें टिकी रहेंगी. यूपी में मेरठ (Meerut) की हस्तिनापुर विधानसभा सीट (Hastinapur Assembly Seat) का भी एक दिलचस्प संयोग है. इस सीट पर जिस पार्टी का विधायक जीतता है, सूबे की सत्ता पर भी वही पार्टी विराजमान होती है. तथ्यों से समझिए इस दिलचस्प संयोग के बारे में.
वर्तमान विधायक हैं बीजेपी के दिनेश खटीक
विधानसभा चुनाव 2017 के आंकड़े पर नज़र डालें तो हस्तिनापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के दिनेश खटीक (Dinesh Khateek) ने जीत दर्ज की थी. हाल ही में दिनेश खटीक को राज्यमंत्री, जल शक्ति एवं बाढ़ नियंत्रण बनाया गया. 2017 में दिनेश खटीक बीजेपी (BJP) से थे तो प्रदेश की गद्दी भी बीजेपी को मिली. इसी तरह से साल 2012 के चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि (Prabhu Dayal Balmiki) ने जीत दर्ज की. तब सत्ता समाजवादी पार्टी को ही मिली और मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के बेटे अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मुख्यमंत्री बने.
(बीजेपी विधायक दिनेश खटीक)
चुनाव होते रहे, लेकिन मिथक नहीं टूटा
साल 2012 से पहले के विधानसभा चुनावों में भी यही मिथक बरकार रहा. साल 2007 में हस्तिनापुर विधानसभा सीट बहुजन समाज पार्टी (BSP) के खाते में गई. यहां से योगेश वर्मा (Yogesh Verma) ने जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री की कुर्सी बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) को मिली. साल 2002 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रभुदयाल वाल्मीकि जीते और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने.
(प्रभुदयाल वाल्मीकि, पूर्व विधायक, सपा)
कांग्रेस को भी ऐसी ही मिली सत्ता
साल 1957 से 1967 तक, यानी लगातार दो विधानसभा चुनावों में हस्तिनापुर सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा और सरकार भी उसी की रही. इतना ही नहीं इससे पहले भी साल 1974, 1980 और1985 में कांग्रेस के विधायक हस्तिनापुर सीट से जीते और सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी.
मंत्री बनाएंगे तो सरकार गवाएंगे!
हस्तिनापुर विधानसभा के साथ सिर्फ एक ही मिथक नहीं जुड़ा है, बल्कि दूसरा मिथक ये है कि यहां जिस विधायक को मंत्री बनाया गया, अगली बार सरकार चली गई. ये मिथक साल 2012 से चल रहा है और इसकी शुरूआत समाजवादी पार्टी के विधायक प्रभुदयाल वाल्मीकि से हुई. साल 2012 में पार्टी ने प्रभुदयाल को मंत्री बनाया और 2017 में समाजवाादी पार्टी की सरकार चली गई. वहीं, साल 2017 में बीजेपी के दिनेश खटीक जीते और योगी ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया. अब देखना यह है कि बीजेपी अपनी सरकार बचाने में कामयाब होती है या नहीं.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)