UP Elections: सतीश चंद्र मिश्र के बाद अब उनकी पत्नी, बेटा और दामाद भी ब्राह्मणों को अपना बनाने में जुटे
बीएसपी महासचिव और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र इन दिनों ज़िले-ज़िले जाकर ब्राह्मणों को हाथी की सवारी कराने में जुटे हैं. हाथी बीएसपी का चुनाव चिह्न है.
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ब्राह्मण सम्मेलन को लेकर सतीश चंद्र मिश्र ही नहीं अब उनका परिवार भी चर्चा में है. बीएसपी महासचिव और राज्यसभा सांसद मिश्र इन दिनों ज़िले-ज़िले जाकर ब्राह्मणों को हाथी की सवारी कराने में जुटे हैं. हाथी बीएसपी का चुनाव चिह्न है.
मायावती के बाद सतीश चंद्र मिश्र ही पार्टी में सबसे ताकतवर नेता हैं. बहन जी ने उन्हें 2007 की तरह ही फिर से यूपी चुनाव में करिश्मा करने की ज़िम्मेदारी दी है. तो इस काम में उनकी पत्नी कल्पना, बेटे कपिल और दामाद परेश भी मज़बूती से साथ दे रहे हैं. जब मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं तो उनकी एक बहन आभा महिला आयोग की अध्यक्ष तो दूसरी बहन आशा मानवाधिकार आयोग की सदस्य और उनके रिश्तेदार अनंत मिश्र कैबिनेट मंत्री थे.
अनुराधा शर्मा को उमा भारती ने उन्हें हराया था
सतीश चंद्र मिश्र की समधन अनुराधा शर्मा भी झांसी से बीएसपी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं. तब बीजेपी की उमा भारती ने उन्हें हराया था. सोशल मीडिया में इन दिनों सतीश चंद्र मिश्र की पत्नी कल्पना मिश्र की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. ये तस्वीरें इसी हफ़्ते की हैं जब लखनऊ में उनके घर पर ब्राह्मण महिलाओं का सम्मेलन हुआ था. तब उनके पति सतीश चंद्र मिश्र दूसरे शहर में प्रबुद्ध सम्मेलन कर रहे थे. सालों बाद लोगों ने उनकी पत्नी के किसी राजनैतिक कार्यक्रम में देखा. वैसे इससे पहले मायावती के सीएम रहते हुए वे कुछ मौक़ों पर बीएसपी के प्रोग्राम में भी शामिल हो चुकी हैं.
कन्नौज की रहने वाली कल्पना ने वही सारे मुद्दे उठाये जो उनके पति कहते रहे हैं. उन्होंने कानपुर की ख़ुशी दूबे को इंसाफ़ दिलाने की बात कही. कल्पना मिश्र जब ब्राह्मण महिलाओं की बात करती हैं तो समाज की औरतें उन्हें ध्यान से सुनता हैं. सतीश मिश्र के ब्राह्मण सम्मेलनों में महिलाओं की भागीदारी कम होती है तो उसकी भरपाई अब उनकी पत्नी भीड़ जुटा कर कर रही हैं.
ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत अयोध्या से की थी
सतीश चंद्र मिश्र ने बीएसपी के ब्राह्मण सम्मेलन की शुरूआत अयोध्या से की थी. दूसरा चरण मथुरा से शुरू हुआ था. इनके दौरे में एक नौजवान हमेशा साये की तरह उनके साथ रहते हैं. मंच पर भी वे इनका साथ नहीं छोड़ते हैं. 35 साल के इस नौजवान का नाम है कपिल मिश्र, जो सतीश चंद्र मिश्र के बेटे हैं. अपने पिता की तरह वे भी वकालत करते हैं. तो क्या पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए वे भी अब एक्टिव पॉलिटिक्स में आयेंगे? इसकी भी बड़ी चर्चा है. देर सवेर ऐसा हो भी सकता है.
कपिल ब्राह्मण सम्मेलन का मैनेजमेंट नकुल दूबे के साथ संभालते हैं. दूबे मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. सतीश चंद्र मिश्र के 5 बच्चों में कपिल इकलौते बेटे हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद भी राजनीति में सक्रिय हैं. अब सतीश चंद्र मिश्र के बेटे कपिल भी उसी राह पर हैं. तो ऐसे में बीएसपी में नई पीढ़ी राजनीति के लिए तैयार हो रही है. हाल में ही मायावती ने उत्तराधिकारी तय करने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अभी तो वे स्वस्थ हैं लेकिन विरासत की राजनीति संभालने वाले तैयार होने लगे हैं.
सतीश चंद्र मिश्र के दामाद परेश मिश्र पर्दे के पीछे से काम करते हैं. पिछले विधानसभा चुनावों के समय सेलरी मीडिया से संवाद का काम वही करते रहे हैं. पेशे से वकील परेश गोपाल नारायण मिश्र के बेटे हैं जो बीएसपी के एमएलसी भी रहे हैं. बीएसपी के कार्यक्रमों की सूचना मीडिया को देने का काम परेश संभालते रहे हैं. सोशल मीडिया का काम भी वे देखते रहे हैं.
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