UP Elections: क्या ये अखिलेश यादव की सोची समझी रणनीति है ? बीजेपी से आमने सामने वाली टक्कर की. मतलब ये कि जिस दिन यूपी में बीजेपी का कोई कार्यक्रम हो तो उसी दिन समाजवादी पार्टी भी कुछ बड़ा करे. लगता तो कम से कम ऐसा ही है. पहला मुक़ाबला को 13 को है. वैसे तो 13 नंबर को अपशगुन माना जाता है. लेकिन इस बार 13 नवंबर को अमित शाह और योगी आदित्यनाथ अपने कट्टर विरोधी अखिलेश यादव के लोकसभा क्षेत्र आज़मगढ़ में रहेंगे. दूसरी तरफ़ योगी के चुनावी गढ़ में अखिलेश रथ पर सवार होकर साइकिल के लिए वोट मांगेंगे ..


इसी कड़ी में अगली दिलचस्प लड़ाई 16 की है. उस दिन योगी सरकार के मेगा प्रोजेक्ट पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का पीएम नरेन्द्र मोदी उद्घाटन करेंगे. इसके लिए यूपी की सरकारी मशीनरी दिन रात जुटी हुई है. कार्यक्रम भव्य और दिव्य हो इसकी पूरी तैयारी है. ठीक उसी दिन यानी 16 नवंबर को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपनी रथयात्रा के चौथे चरण की शुरूआत ग़ाज़ीपुर से करेंगे. उनकी ये यात्रा उनके संसदीय क्षेत्र आज़मगढ़ में जाकर ख़त्म होगी.


अब बीजेपी और समाजवादी पार्टी के इस ज़बरदस्त मुक़ाबले के पीछे की रणनीति को समझिए. इसके पीछे सारा खेल दिखने और दिखाने की है. मामला प्रचार और प्रसार का है. असली लड़ाई मीडिया स्पेस की है. मुक़ाबला टीवी स्क्रीन पर टू विंडो का है. एक विंडो में अगर बीजेपी है तो कम से कम दूसरे विंडो में समाजवादी पार्टी के जगह मिल जाए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का आज़मगढ़ का कार्यक्रम तो उनके पिछले लखनऊ दौरे में ही बन गया था. बीजेपी के चाणक्य ने पार्टी नेताओं की बैठक में ही इस बात का एलान कर दिया था कि अगली बैठक 12 नवंबर को वाराणसी में होगी और अगले दिन वे आज़मगढ़ भी जायेंगे. लेकिन फिर कुछ दिनों बाद अखिलेश यादव ने भी उसी दिन गोरखपुर में रथ चलाने का एलान कर दिया. 


मतलब अगर योगी आदित्यनाथ उनके आज़मगढ़ में रहेंगे तो फिर अखिलेश भी योगी के शहर गोरखपुर में प्रचार करेंगे. ऐसे में मीडिया में दोनों की खबरें लगातार चलती रहेगी. अखिलेश की कोशिश यूपी के चुनावी मुक़ाबले को समाजवादी पार्टी बनाम बीजेपी बनाने की है. इस मुक़ाबले में प्रियंका गांधी और मायावती को कम से कम स्पेस मिले. सारी लड़ाई फ़्लोटिंग वोट बैंक को लेकर है. यानी वैसे वोटर जो आख़िरी समय में अपना मन बनाते हैं कि किस पार्टी को वोट देना है. अधिकतर लोग तो पहले से तय कर चुके होते हैं कि किसका समर्थन करना है.


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