UP Election 2022: यूपी का कैराना विधानसभा सीट अपने आप में एक सबसे दिलचस्प लड़ाई है. एक ऐसी सीट जहां पर चौधरी हुकुम सिंह की चौपाल हमेशा लगी हैं तो वही मुनवर हसन का चबूतरा. लेकिन बात सिर्फ हिन्दू, मुस्लिम, गुर्जर, जाट और इनसब की नहीं है , बात है इस पूरी सीट पर करीब 3,85,000 मतदाताओं की. इसी सीट पर 1,45,000 मुस्लिम मतदाता है. ऐसे में जिसकी लाठी उसकी भैंस. पिछली दो बार से लगातार हार रही मृगांका सिंह को यह पता हैं की इस बार भी हसन परिवार को हारने के लिए गणित बैठाना होगा और जुगत लगानी होगी.  


ऐसे में दोनों पार्टिया यह जानती हैं की एक ओर अगर हसन परिवार को हराना हैं तो उसके लिए वोटो का बंटवारा जरुरी होगा. बीजेपी इसे कैराना मॉडल मानती हैं, पलायन के मुद्दे को फिर से उठा कर लाती हैं तो हसन परिवार भी जनता है की इक़रा हसन को अगर चुनाव लड़ा दिया गया तो हो सकता हैं की परिवार का सम्मान और इज्जत दोनों बच जाये लेकिन जीत की कुंजी तो वोटर के हाथ में ही हैं.


इकरा हसन ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भरा नामांकन


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव शुरू होते ही यूपी में सियासी गर्मी भी बढ़ रही है. यहां शामली की कैराना विधानसभा से इकरा हसन ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर हचलच मचा दी है. वह लंदन से लौटी हैं और उन्होंने कहा कि वह अपने भाई और सपा प्रत्याशी नाहिद हसन के लिए यहां आई हैं. उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की बीजेपी सरकार ने भाई को गलत तरीके से गिरफ्तार कराया है. उनका मुकाबला बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह से है.


इकरा हसन ने कहा, "मैंने उनके (भाई) लिए केवल इसलिए नामांकन दाखिल किया है क्योंकि उनके खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति चल रही है. इसलिए मैंने वास्तव में यह फॉर्म दाखिल किया है. इस (बीजेपी) सरकार में ये बातें शुरू हो गई हैं और सभी जानते हैं कि इस सरकार ने किस पर से केस निकाले हैं और किस पर केस किए हैं. तो ये राजनीति से प्रेरित और निराधार हैं." 


लंबे समय से ही सुर्खियों में रही है कैराना सीट


शामली की कैराना सीट लंबे समय से ही सुर्खियों में रही है. यहां समाजवादी पार्टी से नाहिद हसन विधायक हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में यहां नामांकन शुरू हो गया है. नामांकन के लिए शुक्रवार आखिरी दिन था. सपा ने नाहिद हसन को उम्मीदवार बनाया है, लेकिन वह जेल में हैं, लिहाजा वे नामांकन दाखिल नहीं कर पाए. इसी बीच उनकी बहन इकरा हसन लंदन से आकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है.


गौरतलब है कि कैराना सीट से समाजवादी पार्टी ने नाहिद हसन को उम्मीदवार बनाया है. सपा से टिकट घोषित होने के बाद से ही नाहिद हसन जेल में हैं. उनके ऊपर गैंगस्टर का मामला दर्ज है. समाजवादी पार्टी की ओर से उनका टिकट नहीं काटा गया है. इस बीच नाहिद की बहन के नामांकन के बाद इस विधानसभा सीट का संग्राम चर्चा में आ गया है.


इकरा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास की पढ़ाई की


एक प्रसिद्ध मुस्लिम नेता, उनके पिता मुनव्वर हसन का एक लंबा राजनीतिक जीवन था, विधानसभा और परिषद से लोकसभा और राज्यसभा तक एक सपा नेता के रूप में, बीच में एक संक्षिप्त बसपा के साथ. उन्होंने 1991 और 1996 के बीच तीन बार कैराना विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया और 2004 में मुजफ्फरनगर से सांसद चुने गए. 2009 में एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. मुनव्वर की पत्नी तबस्सुम हसन ने तब बसपा के टिकट पर कैराना संसदीय सीट जीती थी. 2018 में, उन्होंने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को रालोद के टिकट पर हराकर, कांग्रेस, सपा और बसपा के महागठबंधन द्वारा समर्थित - 16 वीं लोकसभा में राज्य से एकमात्र मुस्लिम सांसद बनने के बाद फिर से सीट जीती.


इकरा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास की पढ़ाई की और लॉ फैकल्टी से पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद यूके में स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में दाखिला लिया. वह एक साल पहले लौटी थी, और उसे पीएचडी करने की उम्मीद है. भाई नाहिद के पास ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय से व्यवसाय प्रशासन की डिग्री है. अपने पहले चुनाव में, हुकुम सिंह की मृत्यु के बाद, नाहिद ने कैराना विधानसभा सीट जीतने के लिए अनिल चौहान को हराया. इकरा ने 2014 के चुनावों में परिवार के लिए प्रचार किया और फिर 2015 का पंचायत चुनाव लड़ा जो वह हार गईं. उसने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भाग लेने का दावा किया है.


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