UP Elections: सहारनपुर जिले का देवबंद इस्लामिक शिक्षा के संस्थान दारुल उलूम की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. देवबंद सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. बावजूद उसके यहां का जाति समीकरण बेहद दिलचस्प है क्योंकि यहां पर इसी समीकरण पर उम्मीदवार की जीत निश्चित होती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के उम्मीदवार बृजेश सिंह ने 102244 वोटों से जीत हासिल की थी तो वहीं बीएसपी के मजीद अली दूसरे नम्बर पर रहे जिनको 72,844 वोट मिले थे.
तीसरे नम्बर पर समाजवादी पार्टी से माविया अली रहे जिनको 55, 385 वोट मिले. वोटों का बंटवारा देखें तो बीएसपी और समाजवादी के वोट मिलाकर 128000 से ज्यादा वोट होते हैं जिसका सीधा सीधा मतलब है कि अगर बीएसपी और समजवादी को पड़ने वाला मुस्लिम और दलित वोट एक जगह हो जाता है तो बीजेपी को जितने वोटों से जीत हासिल हुई तो यह उससे ज़्यादा रहेगा. ऐसे में सबसे पहले देवबंद से जाती समीकरण समझ लिया जाए.
देवबंद विधानसभा सीट पर जातियों की संख्या लगभग इस प्रकार है-
ठाकुर- 57 हजार
गुर्जर- 30 हजार
ब्राह्मण- 35 हजार
दलित- 65 हजार
मुस्लिम- 90 हजार
अन्य- 49500 हैं
देवबंद का जाति समीकरण देखने के बाद साफतौर से समझ में आता है कि यहां पर ठाकुर वोट बैंक भी मायने रखती है और यहां पर ठाकुरों का भी दबदबा रहा है. ऐसे पेचीदा समीकरण में 2022 के विधानसभा चुनाव में देवबंद में चुनाव बेहद दिलचस्प मोड़ पर है. एक तरफ बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक बृजेश सिंह को इस बार भी टिकट दिया और बीजेपी से उम्मीदवार खड़ा किया है तो वहीं समाजवादी पार्टी से कार्तिक राणा का नाम उम्मीदवारी के लिए शामिल है. यही वह दो नाम हैं जो देवबंद में लोगों की जुबान पर हैं क्योंकि लोगों के हिसाब से मुकाबला इन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच है. लेकिन दिलचस्प यह है कि लोगों के बीच मुद्दों की बात तो बहुत है और मुद्दे भी बहुत हैं हालांकि जब वोट और वोट बैंक की बात आ रही है तो यूपी की बड़ी तस्वीर को देखते हुए लोगों का रुझान विधानसभा में मुद्दों से ज्यादा योगी vs अखिलेश को लेकर और सरकार को लेकर है.
बृजेश सिंह को स्पोर्ट करते दिखे लोग
इस माहौल को समझने के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम देवबंद के भइला गांव में पुहंची. यह समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कार्तिक राणा का गांव है. गांव में इस विधानसभा सीट को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. एक तरफ गांव के बुजुर्ग जो सालों से सियासत और बड़े-बड़े चेहरे आते जाते देख रहे हैं उनका रुझान अपने इलाके के उम्मीदवार कार्तिक राणा की तरफ नहीं बल्कि मौजूदा विधायक और बीजेपी से उम्मीदवार बृजेश सिंह की तरफ दिखाई दिया. वजह पूछने पर उन्होंने अपने विधायक को भी नहीं बख्शा और बुरा भला कहा. विधायक से नाराजगी भी जताई और शिकायत भी की. विकास ना कराने और कुछ भी काम ना होने की बात की लेकिन बावजूद उसके बीजेपी को यूपी की तस्वीर में दुबारा देखने की बात कहते हुए कहा, 'विधायक अच्छा नहीं है लेकिन हम वोट योगी को दे रहे हैं'...
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कार्तिक राणा के गांव में उनका प्रभाव कम ही दिखा हालांकि गांव के युवा कार्तिक राणा का समर्थन करते हुए ज़रूर दिखे. पश्चिमी यूपी की सियासत में बड़ा चेहरा इमरान मसूद ने जब से कांग्रेस का दामन छोड़ा है और साइकिल पर सवार हुए हैं तब से अपने जिले से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन कर रहे हैं. साथ ही कार्तिक राणा देवबंद से एक बड़ा मुस्लिम वोट बैंक दिलवाने में मददगार साबित हो सकते हैं लेकिन इस बार चुनाव में वोट मुद्दों से ज़्यादा पार्टी के बड़े चहरों पर काफी हद तक निर्भर दिखाई दे रहा है.
बीजेपी को ही दिए जाएंगे वोट- स्थानीय निवासी
समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कार्तिक राणा के गांव में लोगों ने कहा कि, कार्तिक के पिता परिवहन मंत्री भी रहे हैं लेकिन काम कुछ नहीं हुआ है. कार्तिक के परिवारिक और उनके ताल्लुक के वोट उनको गांव से जरूर जा सकते हैं लेकिन अन्य लोग उन्हें वोट नहीं देंगे. वो बीजेपी को वोट डालेंगे. लोगों का कहना है कि, मोदी-योगी एक पैसे की बईमानी नहीं करते हैं. वहीं, अखिलेश यादव पर बोलते हुए कहा कि उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी बना रखी है. लोगों का मानना है कि, कार्तिक राणा काम तो कर रहा है लेकिन वोट बीजेपी को ही जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि, बृजेश विधायक बढ़िया नहीं है लेकिन हम योगी जी की वजह से वोट दे रहे हैं.
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