यूपी चुनाव में सत्ता के लिए संघर्ष तेज हो गया है लेकिन चुनाव प्रचार में मुद्दे आज के नहीं बल्कि इतिहास के पन्नों से ढूंढ कर लाए जा रहे हैं. पहले जिन्ना की एंट्री हुई और अब सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और ऐलेग्ज़ैंडर द ग्रेट की.
योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि इतिहास लिखने वालों ने चंद्रगुप्त के साथ इंसाफ़ नहीं किया तो असदुद्दीन ओवैसी ने उन्हें इतिहास पढ़ने की सलाह दे डाली. ठीक यही सुझाव बीजेपी वालों को अखिलेश यादव भी देते रहे हैं.
बीजेपी की नज़र पिछड़ी बिरादरी के वोट बैंक पर
योगी आदित्यनाथ ने आज लखनऊ के सामाजिक सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि चंद्रगुप्त मौर्य ने जिस ऐलेग्ज़ैंडर को पराजित किया उसे इतिहास लिखने वाले द ग्रेट कहते रहे हैं. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के चुनाव में नई बहस छेड़ दी है. रविवार को लखनऊ में बीजेपी के मौर्य कुशवाहा सम्मेलन वे चीफ़ गेस्ट बन कर आए थे. मंच पर माइक संभालते हुए उन्होंने पिछड़ों के मान सम्मान का मुद्दा उठा दिया. वो भी सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के नाम के बहाने. बीजेपी की नज़र पिछड़ी बिरादरी के वोट बैंक पर है.
पटेल बनाम जिन्ना विवाद में तो बीजेपी वोट बैंक का डबल डोज लेने की आस में है. मसलमानों के ख़िलाफ़ पिछड़ों को एकजुट करने वाला मास्टर प्लान. इस चुनाव में जिस पार्टी को पिछड़ों का साथ मिलेगा, यूपी की सत्ता उसे ही नसीब होगी. बीजेपी की रणनीति ग़ैर यादव पिछड़े वोट बैंक को साथ जोड़े रखने की है. इसीलिए पार्टी इतिहास की गलियों से ढूंढ-ढूंढ कर नायकों को सामने ला रही है.
ओवैसी ने योगी के इतिहास की समझ पर ही सवाल उठाया
बीजेपी के इस मोर्चे पर इस बार जवाब मिला उस नेता से जिस पर बीजेपी की बी टीम होने के आरोप लगते रहे हैं. नाम तो आप जान ही गए होंगे असदुद्दीन ओवैसी. अलीगढ़ में एआईएमआईएम की रैली में ओवैसी ने योगी के इतिहास की समझ पर ही सवाल उठा दिया.
हर दिन यूपी का चुनाव नए-नए मोड़ ले रहा है. कभी रास्ता कमंडल मतलब हिंदू मुसलमान की गली पर मुड़ जाता है तो अगले ही दिन मंडल वाली गली पर मतलब पिछड़ों की राजनीति पर. नेताओं ने इतिहास पढ़ने और पढ़ाने की ज़िद पकड़ ली है. वो इतिहास जिससे वर्तमान के वोट बैंक के चैप्टर जुड़ने लगते हैं. पहले राउंड का श्री गणेश तो अखिलेश यादव ने ही किया था. जब उन्होंने जिन्ना और सरदार पटेल जैसा स्वतंत्रता सेनानी बता दिया था.
डिप्टी सीएम ने अखिलेश का नाम बदल कर अखिलेश अली जिन्ना किया
मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ़ करते ही पूरी बीजेपी अखिलेश यादव पर टूट पड़ी. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उनका नाम बदल कर अखिलेश अली जिन्ना कर दिया. तो किसी ने समाजवादी पार्टी को नमाजवादी पार्टी बना दिया. यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को तो अखिलेश के सीने में जिन्ना की फ़ोटो नज़र आने लगी. अमित शाह आज़मगढ़ पहुंचे तो वे भी मौक़ा नहीं चूके.
क्या जिन्ना के नाम पर यूपी में मुसलमानों का वोट मिल सकता है? ये बड़ा यक्ष प्रश्न है.. लेकिन अखिलेश यादव जिन्ना वाले अपने बयान पर अंगद की तरह डटे हैं. वहीं, अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि 2022 में योगी की जीत ही 2024 में मोदी की जीत है. लेकिन सत्य तो यही है कि योगी, अखिलेश और ओवैसी सब अपनी राजनीतिक सुविधा के हिसाब से इतिहास की कथा सुना रहे है.
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