UP Encounter: योगी राज में एनकाउंटर के चौंकाने वाले आंकड़े- हर 15 दिन में एक अपराधी को पुलिस ने उतारा मौत के घाट
UP Encounter Data: एनकाउंटर के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से लगभग एक तिहाई या 65 अपराधियों को मेरठ जोन के तहत आने वाले जिलों में पुलिस ने गोली मार दी और उनकी मौत हो गई.
UP Encounter Data: उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर कल्चर को लेकर उठते सवालों के बीच एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है. जिसमें बताया गया है कि योगी राज में 2017 से लेकर अब तक राज्य में कुल 186 एनकाउंटर हुए हैं. यानी हर 15 दिन में पुलिस ने एक अपराधी को एनकाउंटर में मार गिराया. इससे पहले यूपी में जब-जब किसी अपराधी का एनकाउंटर हुआ तो ऐसे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए. इनमें ऑपरेशन लंगड़ा के तहत यूपी पुलिस ने कई अपराधियों के पैर में भी गोली मारी, जिनकी संख्या काफी ज्यादा है.
हर 15 दिन में 30 से ज्यादा अपराधियों पर फायरिंग
इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से पुलिस रिकॉर्ड की जांच के बाद एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें ये तमाम तरह के आंकड़े सामने आए हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2017 से, जब योगी आदित्यनाथ ने पदभार संभाला था और आज तक, राज्य में 186 मुठभेड़ हुई हैं, जिससे पता चलता है कि हर 15 दिन में पुलिस की गोली से एक अपराधी को मार गिराया गया. अब अगर पैर में या शरीर के अन्य हिस्से में गोली लगकर घायल हुए बदमाशों के आंकड़े पर नजर डालें तो ये 5,046 है. यानी हर 15 दिनों में 30 से अधिक कथित अपराधियों को गोली मारकर घायल किया जाता है.
यूपी का क्राइम ग्राफ हुआ कम
एक्सप्रेस की रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस एनकाउंटर में मारे गए कुल 186 अपराधियों की लिस्ट में 96 अपराधियों पर हत्या के मामले दर्ज थे, जिनमें से दो पर छेड़छाड़, गैंगरेप और POCSO जैसे मामले दर्ज थे. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 2016 से लेकर 2022 के बीच राज्य में अपराध के ग्राफ में तेजी से गिरावट देखी गई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक डकैती में 82% की गिरावट और हत्या में 37% की गिरावट आई है. हालांकि कम ही लोग ऐसे हैं, जो एनकाउंटर को इसका कारण मानते हैं.
उत्तर प्रदेश के स्पेशल डीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “जघन्य अपराधों को कंट्रोल करने या शातिर अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस एनकाउंटर कभी भी हमारी रणनीति का हिस्सा नहीं रहा है."
जांच में नहीं उठे सवाल
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर एनकाउंटर केस ऐसे हैं, जिनमें कोई भी सवाल नहीं किए गए या फिर विवाद नहीं हुआ. हर एनकाउंटर जिसमें मौत होती है, उसकी मजिस्ट्रियल जांच कराई जानी जरूरी होती है. रिकॉर्ड के मुताबिक 161 एनकाउंटर्स को बिना किसी आपत्ति के निपटाया गया. वहीं बाकी 25 में जांच लंबित है. यानी इसमें किसी भी तरह के कोई सवाल खड़े नहीं हुए. मजिस्ट्रियल जांच में, मजिस्ट्रेट को कार्रवाई में शामिल पुलिसकर्मियों और गवाही देने वाले अन्य लोगों के बयान दर्ज करने और अपने निष्कर्षों के साथ रिपोर्ट पेश करनी होती है.
मेरठ जोन में सबसे ज्यादा एनकाउंटर
एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एनकाउंटर के आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से लगभग एक तिहाई या 65 अपराधियों को मेरठ जोन के तहत आने वाले जिलों में पुलिस ने गोली मार दी और उनकी मौत हो गई. वाराणसी और आगरा जोन में 20 और 14 एनकाउंटर हुए. मेरठ जोन ऑपरेशन लंगड़ा के मामले में भी अव्वल रहा. कुल 5,046 अपराधियों के पैरों में इसके तहत गोली मारी गई, जिसमें 1,752 अपराधी मेरठ जोन में गोली लगने से घायल हुए.
पिछले 6 सालों में एनकाउंटर के दौरान या अपराधियों को पकड़ने के दौरान कई पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई. आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 से अप्रैल 2023 तक, राज्य में 13 पुलिसकर्मी मारे गए. वहीं 1,443 घायल हुए.