नई दिल्ली: राम मंदिर बनाने की शपथ लेकर अयोध्या से रथ रवाना हो गया है. 40 दिनों बाद 'रामराज्य रथ यात्रा' रामेश्वरम में खत्म हो जाएगी. कहने को तो रामदास मिशन इस यात्रा के आयोजक हैं, लेकिन पीछे से ताकत बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और संघ परिवार की है. इस यात्रा के बहाने तैयारी कर्नाटक और एमपी जैसे राज्यों में माहौल गरमाने की है. अयोध्या के कारसेवकपुरम में साधु, संत बीजेपी और वीएचपी के नेता जमा हुए. पहले भाषण हुआ, फिर पूजा पाठ. इसके बाद सबने अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने की शपथ ली. जय श्री राम के जयकारे लगे. फिर रामराज्य रथ अयोध्या से रामेश्वरम के लिए निकल पड़ा. महाशिवरात्रि को शुरू हुई ये यात्रा रामनवमी को समाप्त हो जाएगी.


महाराष्ट्र की रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी ने ये यात्रा निकाली है. लेकिन इस यात्रा का मक़सद राम मंदिर है या फिर इसके पीछे की कहानी कुछ और है? रथ यात्रा जिन इलाकों से होकर गुज़रेगी, उसी से यात्रा के एजेंडे का पता चल जाता है. यूपी, एमपी, कर्नाटक, महाराष्ट्र और केरल होते हुए 'रामराज्य रथ यात्रा' रामेश्वरम तक जाएगी. रामदास मिशन के महामंत्री शक्ति शांतानंद ने कहा, "अब सरकार सिर्फ राम भक्तों की ही बनेगी. देखिए दिल्ली में मोदी जी हैं और यहां यूपी में योगी जी. अब समय बदल गया है."


रामदास मिशन और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पुराना रिश्ता रहा है. इसीलिए यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए योगी को बुलाया गया था. लेकिन त्रिपुरा में चुनाव प्रचार के कारण वे नहीं आ पाए. रथ यात्रा शुरू करने के लिए फैजाबाद से बीजेपी सांसद लल्लू सिंह, अयोध्या से बीजेपी के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंपत राय वहां पहुंचे.


यात्रा के लिए रथ को राम मंदिर के मॉडल की तरह ही बनाया गया है. यात्रा के दौरान एमपी और कर्नाटक जैसे राज्य आएंगे. कर्नाटक में इसी साल अप्रैल- मई के महीने में चुनाव होने हैं. जबकि मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में चुनाव हो सकते हैं. एमपी में सरकार बचाने की चुनौती है और कर्नाटक में सत्ता में वापसी की. क्या पता रथ यात्रा ही राम बाण बन जाए. वीएचपी के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा, "पूरा संघ परिवार रथयात्रा के साथ है, राम राज्य और राम मंदिर के लिए जिसको साथ आना हो, उनका स्वागत है".


बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर का केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. श्री श्री रविशंकर और कुछ मुस्लिम उलेमाओं ने भी कोर्ट के बाहर इसे सुलझाने के लिए बातचीत शुरू कर दी है.


  तारीख                   रथयात्रा की जगह
15 फरवरी                    वाराणसी
16 फरवरी                   इलाहाबाद
16 फरवरी                    चित्रकूट
19 फरवरी                     भोपाल
20 फरवरी                    उज्जैन
21 फरवरी                      इंदौर
25 फरवरी                 औरंगाबाद
8 मार्च                          बेंगलुरू
10 मार्च                         मैसूर
13 मार्च                      कोझीकोड
21 मार्च                      रामेश्वरम
22 मार्च                     कन्याकुमारी