नई दिल्ली: लखनऊ में CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपियों की तस्वीर वाला बैनर हटाए जाने के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को तुरंत इस तरह के पोस्टर और बैनर हटाने का आदेश दिया था. यूपी सरकार की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दे. सुप्रीम कोर्ट में कल इस मामले की सुनवाई होगी.


यूपी सरकार 19 दिसंबर को लखनऊ में CAA विरोधी प्रदर्शन के दौरान उपद्रव कर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपियों से नुकसान की भरपाई करवाना चाहती है. उसने एक करोड़ पचपन लाख रुपए की वसूली का आदेश जारी किया है. जिन 57 लोगों से यह वसूली की जानी है, बकायदा उनकी तस्वीर के साथ बैनर छपवा कर लखनऊ के अलग-अलग चौक चौराहों पर लगवाया गया है.


इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने मामले पर खुद संज्ञान ले लिया था. जस्टिस माथुर और राकेश सिन्हा की बेंच ने माना था कि इस तरह से लोगों की तस्वीरों के साथ बैनर लगाना उनकी निजता का हनन है. ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत इस तरह की कार्यवाही की जा सकती है. हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से तत्काल ऐसे बैनर हटाने को कहा था.



यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि अलग-अलग मौकों पर सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाई कोर्ट सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से उसकी वसूली किए जाने के का आदेश दे चुके हैं. यूपी सरकार लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नहीं है. लेकिन करदाताओं के खून पसीने की कमाई से बनी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने को बर्दाश्त नहीं कर सकती. इसलिए, उसने अपने दायित्व को निभाते हुए और पहले आए कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए नुकसान की वसूली की कार्रवाई शुरू की. अब हाई कोर्ट की तरफ से उपद्रवियों के लिए सहानुभूति पूर्वक रवैया दिखाए जाने से इस में दिक्कत आ सकती है.


यूपी सरकार की याचिका में यह भी कहा गया है कि हाई कोर्ट की बेंच लखनऊ में भी है. उसी को लखनऊ के किसी मामले पर संज्ञान लेने का अधिकार है. लेकिन इस मामले पर हाई कोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने संज्ञान लेकर आदेश जारी कर दिया. ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट के भी एक पुराने आदेश के खिलाफ है.


गौरतलब है कि सोमवार को दिए आदेश में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लखनऊ के डीएम से तुरंत CAA विरोधी तोड़फोड़ के आरोपियों की तस्वीरों वाला पोस्टर हटाने को कहा था. हाई कोर्ट ने 16 मार्च को आदेश के पालन की रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इस मामले को नाक का सवाल बना चुकी योगी सरकार ने अब तक यह पोस्टर नहीं हटाए हैं.


ऐसे मैं कल जस्टिस यु यु ललित और अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन बेंच के सामने जब यह मामला लगेगा, तो राज्य सरकार की पहली कोशिश होगी कि हाई कोर्ट के आदेश पर रोक हासिल की जाए. अगर सुप्रीम कोर्ट रोक लगाने से मना कर देता है, तो यूपी सरकार को पोस्टर हटाने के लिए मजबूर हो जाना पड़ेगा.


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