लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सोमवार तक के लिए टल गई है. कोर्ट ने कुछ वकीलों के आग्रह पर तारीख में बदलाव किया है. मामले की जांच कर रहे पूर्व जज ने कहा है कि यूपी सरकार को किसानों को कुचलने के आरोपी मंत्री के बेटे की जमानत को चुनौती देनी चाहिए. पूर्व जज ने यूपी सरकार को पत्र लिखकर आरोपी आशीष की जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने को कहा है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि SIT ने राज्य सरकार को आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने का आवेदन देने की सिफारिश की है. निगरानी करने वाले जज ने भी इसकी सिफारिश की है. राज्य सरकार इस पर जवाब दे.
दरअसल, कार से कुचल कर मारे गए किसान के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने अब हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है. राज्य को 4 अप्रैल तक जवाब देने का आदेश दिया गया है. सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है.
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा
एक दिन पहले यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती देने वाली अपील दायर करने का फैसला संबंधित अधिकारियों के समक्ष विचाराधीन है. इन आरोपों का खंडन करते हुए कि उसने इस साल फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा मिश्रा को दी गई जमानत का विरोध नहीं किया, उत्तर प्रदेश सरकार ने एक जवाबी हलफनामे में कहा कि मिश्रा की जमानत अर्जी का उसके द्वारा कड़ा विरोध किया गया था. यूपी सरकार ने कहा कि पीड़ितों के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में इसके विपरीत कोई भी दावा पूरी तरह से गलत है और खारिज किए जाने योग्य है.
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