लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार उग्र इस्लामिक संगठन पीएफआई पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है. पीएफआई पर नागरिकता कानून पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़काने का शक है. डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने आज पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यूपी में हिंसा फैलाने में पीएफआई का हाथ था.


केशव मौर्य ने कहा, ''यूपी में हिंसा फैलाने में पीएफआई का हाथ था. सिमी के लोग ही पीएफआई में थे जिन्होंने यूपी में हिंसा फैलाई. सरकार की तरफ से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और सरकार की ओर से प्रस्ताव लाकर इसे प्रतिबंधित किया जाएगा.''


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उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने गृह विभाग को चिट्ठी लिखकर पीएफआई पर बैन लगाने की सिफारिश की है. डीजीपी के मुताबिक जांच में पता है कि 19 दिसंबर को हुए हिंसक प्रदर्शन में पीएफआई का हाथ था.


बता दें कि 15 दिसंबर को नागरिकता कानून के विरोध में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में हिंसा में हुई. बाद में यह हिंसा अलग अलग प्रदेशों में भी फैल गई. इस हिंसा में करीब 15 लोग मारे गए थे. पीएफआई पर अभी झारखंड में पाबंदी है.


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पीएफआई है क्या ?
पीएफआई का फुल फॉर्म पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है, यह एक उग्र इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है. दक्षिण भारत के राज्यों में संगठन काफी सक्रिय है, चुनाव भी लड़ता रहा है. उत्तर प्रदेश में पिछले 6 महीने में संगठन तेजी से फैला है. जहां तक पीएफआई के दावे का सवाल है तो पीएफआई दावा करता है कि वो एक ऐसा संगठन है जो लोगों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ता है.


संगठन दावा करता है कि उसके काम सामिजक हितों वाले हैं. संगठन की वेबसाइट पर जाएंगे तो आपको इस तरह के कई वीडियो मिल जाएंगे लेकिन एक हकीकत ये भी है कि पीएफआई का नाम गैरकानूनी कामों में भी आ चुका है. झारखंड में तो इसकी गतिविधियों के चलते वहां की सरकार ने बैन लगा रखा है.


पुलिस के मुताबिक पीएफआई के लोगों ने यूपी में हुई हिंसा के दौरान सोशल मीडिया के जरिये लोगों को उकसाने और भड़काने का काम किया. यूपी में पीएफआई से जुड़े जो लोग गिरफ्तार किये गये हैं उनके बारे में पुलिस का कहना है कि उनके पास कई ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो माहौल बिगाड़ने के लिए बांटे जा रहे थे. पुलिस के मुताबिक पीएफआई के लोगों ने अलग अलग शहरों में भड़काऊ पोस्टर भी लगवाए.