नई दिल्ली: पीएफआई यानि पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया पर जांच एजेंसियों समेत केन्द्रीय गृह मंत्रालय का शिकंजा कसने जा रहा है. दिल्ली पुलिस ने जहां दिल्ली में सीएए के विरोध के दौरान हिंसा में पीएफआई की भूमिका की जांच करनी शुरू कर दी है, वहीं ईडी, आय़कर विभाग औऱ गृह मंत्रालय के अधीन एफसीआरए ने पीएफआई के विदेशी चंदे की जांच शुरू कर दी है. पीएफआई और उससे जुड़े लोगों के खातों में सौ करोड़ रूपये से ज्यादा आने का अनुमान है. जिसमें ज्यादातर रकम नगदी में जमा कराई गई है.
दिल्ली और यूपी में सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए दंगे अभी भी आपके जेहन में होगे. ऐसे दंगे जिनके बारे मे जांच एजेंसियों का अनुमान है कि ये पूरी तरह से सुनियोजित थे. इन्हीं की जांच के दौरान पीएफआई संगठन का नाम सामने आया है. इस संगठन से जुड़े कुछ लोगों को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. अब तक की जांच के दौरान जो अहम बातें सामने आई हैं उनमें शामिल है-
* पीएफआई और उससे जुड़े देश भर में 3 दर्जन खाते
* इन खातों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा होने का अनुमान
* ज्यादातर रकम नगदी में जमा कराई गई
* ये रकम 20 हजार से लेकर 1 लाख तक जमा कराई गई
* बैंक खाते दिल्ली, यूपी, केरल, मणिपुर आदि जगहों पर
* खातों में गल्फ कंट्री से पैसा आने का शक.
पीएफआई से जुड़े लोगों पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. केन्द्रीय जांच एजेंसियों को शक है कि दिल्ली में हुए दंगो में भी पीएफआई की अहम भूमिका है. उससे जुड़े दो संगठन जामिया औऱ उसके आसपास के इलाकों में बताए जा रहे हैं. साथ ही उसका एक ऑफिस भी जामिया के नजदीक बताया जाता है. इसके अलावा उत्तरपूर्वी दिल्ली में एडिशनल डीसीपी के ऊपर जिस भीड़ ने हमला किया उसमें भी यूपी से आए पीएफआई के लोग बताए जा रहे हैं.
ध्यान रहे कि झारखंड ने पीएफआई को बैन कर दिया है और उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस बाबत केन्द्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंप दी है. आने वाले दिनो में ये संगठन यूपी में भी बैन हो सकता है. केन्द्रीय जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय इस पर बैन लगाने पर विचार कर सकता है.
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