Kanwar Yatra Controversy: सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने दिए वो 3 सबूत, जिसकी वजह से लिया कांवड़ नेमप्लेट वाला बड़ा फैसला
Kanwar Yatra Nameplate Controversy: यूपी सरकार की तरफ से कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित दुकानों पर नेमप्लेट लगाने का आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले पर सुनवाई चल रही है.
UP Govt on Kanwar Yatra: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कांवड़ यात्रा मार्गों पर दुकानों के बाहर नेमप्लेट लगाने को लेकर दिए गए अपने आदेश का बचाव किया है. नेमप्लेट लगाने के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं का विरोध करते हुए यूपी सरकार ने कहा कि उसका इरादा कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से पूरा करवाना है. सरकार ने कहा कि दुकानों के नामों की वजह से पैदा होने वाले भ्रम को दूर करने के लिए ये निर्देश जारी किया गया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन ऐसे सबूत भी पेश किए, जिनको आधार बनाकर नेमप्लेट लगवाने का फैसला किया गया. सरकार ने तस्वीरों के साथ कुछ ढाबों के उदाहरण दिए. जैसे 'राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा' चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है. ठीक ऐसे ही 'राजस्थानी खालसा ढाबा' का मालिक फुरकान है. इसी तरह से 'पंडित जी वैष्णो ढाबे' का मालिक सनव्वर है. इसकी वजह से भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है.
क्यों दिया यूपी सरकार ने नेमप्लेट लगाने का आदेश?
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वह चाहती है कि नंगे पैर पवित्र जल ले जा रहे कांवड़ियों की धार्मिक भावना गलती से भी आहत न हो. इसलिए, दुकान के बाहर नाम लिखने का निर्देश दिया गया था. उसने बताया कि कावंड़ मार्ग पर खाने-पीने को लेकर गलतफहमी पहले भी झगड़े और तनाव की वजह बनती रही है. जिस वक्त ये फैसला लागू किया गया था, उस वक्त भी यूपी सरकार ने यही बातें कही थीं. उसका कहना था कि दुकानों के नाम भ्रम पैदा करते हैं.
नेमप्लेट विवाद पर विपक्ष ने क्या कहा?
विपक्ष ने यूपी सरकार के फैसले को विभाजनकारी बताया था. उसने इसे मुस्लिम विरोधी भी करार दिया था और कहा था इसका मकसद समाज को बांटना है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने फैसले को संविधान विरोधी बताया था. उन्होंने कहा था, "हमारा संविधान हर एक नागरिक को गारंटी देता है कि उसके साथ जाति, धर्म, भाषा या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा. उत्तर प्रदेश में ठेले, खोमचे और दुकानों के मालिकों के नाम का बोर्ड लगाने का विभाजनकारी आदेश हमारे संविधान, हमारे लोकतंत्र और हमारी साझा विरासत पर हमला है."
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा था कि बीजेपी के लोग समाज में नफरत फैला रहे हैं. इसमें इन लोगों को कामयाबी नहीं मिलने वाली है. जनता ने इन्हें शून्य कर दिया है. कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद का मुद्दा संसद में भी गूंजा था, जहां विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया था कि इसके जरिए समाज को बांटा जा रहा है.
यह भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा के लिए यूपी सरकार ने तैयार किया मास्टर प्लान, सुप्रीम कोर्ट को बताया नहीं होगी कोई दिक्कत