बुलंदशहर: छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों से ऐसी खबरें आती रहीं हैं कि एंबुलेंस नहीं आने की वजह से मरीज को कभी कंधे पर या फिर किसी और तरह से लाद कर अस्पताल ले जाना पड़ा. ऐसा ही एक मामला यूपी के संभल से आया है जहां एक हादसे में घायल हुए एक युवक को एंबुलेंस नहीं पहुचने की वजह से मोटरसाइकिल से अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुई है. बताया जा रहा है कि बहजोई कोतवाली के गांव सादातबाडी के निवासी हरिशचंद्र अपने धेवते सूरजपाल के साथ खेत पर मिटटी की कुइया साफ कर रहे थे. तभी अचानक मिट्टी सूरजपाल के ऊपर आ गिरी और सूरजपाल मिट्टी में दब गए. शोर मचाने पर खेतों पर काम कर रहे लोगों ने दौड़ कर बचाने की कोशिश की लेकिन काफी देर बाद सूरजपाल को बाहर निकाला जा सका.
इस बीच युवक के ननिहाल वालों ने एंबुलेंस के लिए कई बार कॉल लगाया लेकिन दूसरी तरफ से किसी ने भी फोन नहीं उठाया. इसके बाद मजबूरी में उन्हें अपनी मोटरसाइकिल से ही सूरजपाल को सरकारी अस्पताल बहजोई ले जाना पड़ा. एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से मरीज को अस्पताल ले जाने में काफी देर हो गई जिसके कारण मरीज की स्थिति और बिगड़ती ही चली गई. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने सूरजपाल को देखते ही मृत घोषित कर दिया.
लोगों ने बताया कि जब मरीज को घायल अवस्था में मोटरसाइकिल से उतारा जा रहा था तब कोई भी सरकारी कर्मचारी मदद के लिए आगे नहीं आया और न ही मरीज को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिए स्ट्रेचर मिला. मरीज को कंधे पर लाद कर परिजनों ने अस्पताल में पहुंचाया. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की अमानवीयता यहीं नहीं रूकी. अस्पताल के डॉक्टर से घायल शख्स को मृत घोषित करने के बाद भी परिजनों को लाश ले जाने के लिए कोई भी वाहन नहीं दिया गया. मृतक के परिजनों को शव कंधे पर ही लादकर ले जाना पड़ा.
इस मामले में जिले की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अमिता सिंह से बात की गई तो उन्होंने लापरवाही भरा जबाब दिया. उन्होंने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की कोई बात नहीं की जबकी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहजोई के कैम्प में ही सीएमओ का कार्यालय है जिसमे स्वयं सीएमओ मौजूद थीं. यह सब उनके कार्यालय के सामने ही होता रहा.