UP Legislative Council Election 2022: बीजेपी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) ने यूपी से विधान परिषद चुनाव के लिए उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. दोनों ही पार्टियों ने आज अपने नेताओं के नाम का एलान किया है. बीजेपी के 9 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें से 7 ऐसे हैं जो योगी सरकार में मंत्री हैं पर किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. नियम के मुताबिक़ मंत्री बनने के छह महीने महीने में किसी भी सदन का सदस्य बनना ज़रूरी होता है.


केशव प्रसाद मौर्य यूपी में डिप्टी सीएम हैं और सिराथू से वे विधानसभा का चुनाव हार गए थे. बीजेपी की लिस्ट में पहला नाम उनका ही है. भूपेन्द्र चौधरी, दयाशंकर मिश्रा दयालु, जे पी एस राठौर, नरेन्द्र कश्यप, जसवंत सैनी और दानिश आज़ाद अंसारी को भी पार्टी ने एमएलसी का टिकट दिया है. ये सभी मंत्री हैं. इसके अलावा बीजेपी ने बनवारी लाल दोहरे और मुकेश शर्मा को भी उम्मीदवार बनाया है. दोहरे कन्नौज के हैं और पार्टी ने उन्हें पिछले चुनाव में टिकट नहीं दिया था. वे दलित नेता हैं. 


मुकेश शर्मा को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की मेहरबानी से टिकट मिला है. वे लखनऊ में बीजेपी के महानगर अध्यक्ष हैं. राजनाथ सिंह चाहते थे कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिले. लेकिन मुकेश को टिकट नहीं मिल पाया. लेकिन राजनाथ की पैरवी से इस बार उन्होंने लिस्ट में अपनी जगह बना ली.


चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुईं थी अपर्णा


इस बात की बड़ी चर्चा थी कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को बीजेपी एमएलसी बना सकती हैं. चुनाव से ठीक पहले वे समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीजेपी में आ गई थीं. वे चुनाव लड़ना चाहती थीं. समाजवादी पार्टी के टिकट पर वे लखनऊ कैंट से चुनाव भी लड़ी थीं लेकिन रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें हरा दिया था. मनमुटाव के बावजूद अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल ने उनके लिए प्रचार किया था. पर बीजेपी में आने के लिए उन्होंने कोई ऐसी शर्त नहीं रखी थी. 


चुनाव में पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया. समाजवादी पार्टी के खिलाफ उन्होंने जम कर प्रचार किया. पार्टी ने भी अखिलेश यादव और उनके परिवार के खिलाफ इस्तेमाल किया. ये मैसेज दिया गया कि अखिलेश यादव तो अपना परिवार भी नहीं संभाल सकते हैं तो फिर पार्टी और सरकार कैसे संभालेंगे. दिल्ली में अपर्णा जब बीजेपी में शामिल हुई तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद थे. पार्टी ने इसे मेगा शो बनाया था. इस लिहाज़ से ये समझा जा रहा की कि आगे की राजनीति के लिए शायद अपर्णा को एमएलसी टिकट का इनाम मिल जाए. पर इस बार तो उनके हिस्से सिर्फ़ इंतज़ार ही रहा.


लखनऊ में कैंप कर रहे थे इमरान मसूद


कुछ यही हाल समाजवादी पार्टी कैंप में इमरान मसूद का भी हो गया है. चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और साइकिल की सवारी कर ली. हर चुनाव लड़ने वाले इमरान इस बार सिर्फ़ प्रचार ही करते रहे. अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया और ये भरोसा दिया था कि चुनाव जीतने पर पार्टी उनका मान सम्मान रखेगी. 


समाजवादी पार्टी चुनाव हार गई और इमरान की उम्मीदों पर पानी फिर गया. लिस्ट जारी होने से पहले तक उन्होंने लखनऊ में कैंप कर रखा था. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. निराश होकर वे सहारनपुर लौट गए हैं. 2002 से ही इमरान हर विधानसभा का चुनाव लड़ते रहे हैं. 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव वे कांग्रेस के टिकट पर लड़े लेकिन दोनों बार हार गए. मोदी की बोटी बोटी काट डालूंगा, ये बयान देकर इमरान काफ़ी विवादों में रहे.


इसी वजह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण रोकने के लिए अखिलेश ने उन्हें चुनाव न लड़ने के लिए मना लिया था. समाजवादी पार्टी ने एमएलसी के लिए जिन चार लोगों को टिकट दिया है, उनमें से दो चेहरे तो मुस्लिम हैं लेकिन इमरान मसूद के हिस्से सिर्फ़ इंतज़ार ही आया. समाजवादी पार्टी के बड़े नेता आज़म खान की ज़िद पर उनके समर्थक सरफराज अहमद के बेटे शाहनवाज़ को टिकट मिल गया.


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