यूपी के शहरों में अवैध संपत्तियों को कुचल रहे बुलडोजर, मेरठ में माफिया बदन सिंह बद्दो का साम्राज्य जमींदोज
नतीजे आने के पांच दिन के भीतर यूपी के अलग-अलग शहरों में बुलडोजर अवैध संपत्ति को ढूंढकर कुचलने लगे. मेरठ और कानपुर से जो वीडियो और तस्वीरें आई हैं, उसमें अवैध संपत्ति जमींदोज होती नजर आ रही हैं.
यूपी चुनाव में एतिहासिक जीत के बाद भी माफिया पर बीजेपी का बुजडोजर थमने का नाम नहीं ले रहा है. यूपी चुनाव के दौरान सीएम योगी चुनावी मंच से हुंकार भरकर दावा कर रहे थे कि बुलडोजर वो ही चला सकता है जिसमें दम है और नतीजे आने के पांच दिन के भीतर यूपी के अलग-अलग शहरों में बुलडोजर अवैध संपत्ति को ढूंढकर कुचलने लगे. मेरठ और कानपुर से जो वीडियो और तस्वीरें आई हैं, उसमें अवैध संपत्ति जमींदोज होती नजर आ रही हैं.
मेरठ में जहां कभी कुख्यात फरार माफिया बदन सिंह बद्दो की अवैध संपत्ति का साम्राज्य खड़ा हुआ करता था, वो आज जमीन में दफन हो गया है. बदन सिंह बद्दो पर ढाई लाख का इनाम है. दरअसल ये पूरी जमीन सरकारी पार्क की है, जिस पर मोस्ट वॉन्टेड बदन सिंह बद्दो और उसके साथियों ने पहले कब्जा किया और फिर करोड़ों की जमीन पर दुकानें बनाकर बेच दिया गया. बदन सिंह बद्दो यूपी का वो मोस्ट वांटेड अपराधी है जो साल 2019 से फरार चल रहा है.
कानपुर में भी चला बुलडोजर
सिर्फ मेरठ ही नहीं कानपुर शहर में बुलडोजर जमकर चला है. कानपुर के बर्रा में जहां बुलडोजर चलाया जा रहा है, वो एक तालाब की करीब ढाई बीघा जमीन है. कानपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की मिलीभगत से तालाब की जमीन पर फर्जी रजिस्ट्री हुई थी और इसके बाद यहां पक्के मकान खड़े कर दिए गए. लेकिन अवैध कब्जे से बने इन पक्के मकानों को कुछ मिनटों के भीतर जमींदोज करने की कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
ये योगी सरकार 2.0 का ट्रेलर है, जो ये बता रहा है कि बुलडोजर सिर्फ वापस नहीं आया है बल्कि दूसरे कार्यकाल में दोहरी ताकत से भूमाफियाओं पर वार करने आया है. उत्तर प्रदेश चुनाव में बुलडोजर वो नाम है जो मुद्दा बना हुआ था.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बुलडोजर को हथियार बनाकर योगी सरकार पर वार किया था. उनके इस बयान के बाद से बुलडोजर यूपी चुनाव में सबसे आगे निकल गया और बाकी सब पीछे छूट गया. अखिलेश के वार के बाद योगी सरकार ने बुलडोजर के मुद्दे को ऐसा लपका कि फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
बीजेपी की चुनावी रैलियों में बुलडोजर खड़े दिखाई देने लगे. योगी आदित्यनाथ तमाम मुद्दों के साथ जनता को ये बताना नहीं भूलते थे कि वापस आने के बाद बुलडोजर को कोई नहीं रोक पाएगा.
मकसद साफ था कि योगी आदित्यनाथ बुलडोजर बाबा की छवि को सही साबित करना चाहते थे. यही वजह है कि सिर्फ योगी आदित्यनाथ ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक अपनी रैलियों में बुलडोजर का जिक्र जरूर करते रहे.
ये रणनीति काम आई और 10 मार्च को नतीजे आए तो बीजेपी ने सत्ता में बहुमत के साथ वापसी की और फिर जश्न भी बुलडोजर पर ही मना. उत्तर प्रदेश की राजनीति में बुलडोजर का क्रेज ऐसा है कि प्रयागराज से लेकर आगरा तक लोग बुलडोजर का ही टैटू बनवा रहे हैं.
रही सही कसर मेहंदी ने पूरी कर दी. होली से पहले जो महिलाएं मेहंदी लगवाने आ रही हैं वो कह रही हैं जो ट्रेंड होता है उसी की छाप हथेली पर होती है और इस बार ट्रेंड में तो बाबा का बुलडोजर है.
कब-कब चला योगी का बुलडोजर
- इससे पहले नवंबर 2020 में बाहुबली मुख्तार अंसारी के गाजीपुर के गजल होटल पर योगी सरकार का बुलडोजर चला था.
- तीन-तीन बुलडोजर मिलकर मुख्तार अंसारी के साम्राज्य को मलबे के ढेर में मिला रहे थे. इसके अलावा भी योगी सरकार मुख्तार अंसारी के कई अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला चुकी है.
- मुख्तार अंसारी हो या फिर कानपुर का कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे जो एनकाउंटर में मारा गया था। विकास दुबे के किले को भी बुलडोजर से ढा दिया गया था.
किन बाहुबलियों और गैंगस्टर की अवैध संपत्ति हुई जब्त
- बाहुबली मुख्तार अंसारी गिरोह की 1100 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है
- माफिया अतीक अहमद गिरोह की 355 करोड़ की संपत्ति जब्त हो चुकी है.
- गैंगस्टर सुंदर भाटी गिरोह की 63 की संपत्ति जब्त की गई.
- अपराधी कुंटू सिंह की 18 करोड़ की संपत्ति पर योगी सरकार शिकंजा कस चुकी है.
साल 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने भूमाफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने के मकसद से राज्य में चार स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन किया था. पिछले 5 साल में राजस्व और पुलिस विभाग ने भूमाफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है.
ये कार्रवाई कितनी बड़ी थी उसे ऐसे समझिए. लखनऊ नगर निगम का इलाका 631 वर्ग किलोमीटर में फैला है. योगी सरकार ने पिछले पांच साल में 688.51 वर्ग किलोमीटर जमीन को भू माफिया के कब्जे से छुड़ाया गया है. मतलब जितना बड़ा लखनऊ है उतनी ही जमीन राज्य में अवैध कब्जे से मुक्त हुई है.
187 भूमाफियाओं को किया अरेस्ट
पिछले कार्यकाल में योगी सरकार ने 187 भूमाफियाओं को गिरफ्तार किया था और दूसरी बार के लिए उनका एजेंडा कुछ ऐसा ही रहने वाला है. दूसरे कार्यकाल के लिए लखनऊ में किस तरह की तैयारियां हो रही हैं अब उसके बारे में जान लीजिए.
सुबह से लखनऊ में योगी पार्टी के नए विधायकों से मिल रहे हैं और अब इन्हीं विधायकों का भविष्य तय करने के लिए 48 घंटे में दूसरी बार सीएम दिल्ली आने वाले हैं. रविवार और सोमवार को दिल्ली में बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद योगी सोमवार की शाम लखनऊ लौटे थे. जिसके बाद सोमवार शाम को लखनऊ में बीजेपी कोर ग्रुप की मीटिंग हुई. मंगलवार यानी आज भी सुबह से बैठकों का दौर चल रहा है.
दिल्ली पहुंच रहे केशव मौर्य-दिनेश शर्मा
एबीपी न्यूज को जानकारी मिली है, उसके मुताबिक दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा के साथ प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बंसल रात को ही दिल्ली पहुंच रहे हैं. बुधवार को योगी के दिल्ली आने के बाद दोपहर को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, यूपी प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान और संगठन महामंत्री बी एल संतोष के साथ मीटिंग होगी.
माना जा रहा है कि इसी मीटिंग में मंत्रियों के नाम पर चर्चा होगी. सूत्रों की माने तो होली के बाद गृह मंत्री अमित शाह बतौर पर्यवेक्षक लखनऊ जाएंगे और तब विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव होगा. खबर है कि अमित शाह 19 मार्च को लखनऊ जाएंगे.
कहां हो सकता है शपथ ग्रहण
2017 में योगी बतौर सांसद बीजेपी विधायक दल का नेता चुने गए थे और 19 मार्च को उन्होंने स्मृति उपवन में शपथ ली थी. इस बार माना ये जा रहा है कि होली के बाद 20 या 21 तारीख को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है. शपथ के लिए तीन जगहों की चर्चा जोरों पर है. इनमें से एक तो वही स्मृति उपवन है जहां 2017 में समारोह हुआ था. बाकायदा यहां 22 मार्च तक आम लोगों के आने पर रोक लगा दी गई है. दूसरा लखनऊ का मशहूर रमा बाई मैदान है तो तीसरा ईकाना स्टेडियम.
इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा डिप्टी सीएम के नामों को लेकर हो रही है. मौजूदा डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं इसलिए उनको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जबकि दूसरे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को संगठन में भेजे जाने की चर्चा की जा रही है. इन दोनों नामों के अलावा इस वक्त डिप्टी सीएम के लिए जिस तीसरे नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है वो नाम है बेबी रानी मौर्य का.
उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकीं बेबी रानी मौर्य आगरा ग्रामीण से चुनाव जीती हैं. बेबी रानी उसी जाटव जाति से आती हैं, जिस जाति से मायावती हैं. बीजेपी की नजर आने वाले दिनों में अब इसी जाटव वोटरों पर है. बेबी रानी मौर्य के जरिए बीजेपी इसी को साधने की सोच पर काम कर रही है.
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