लखनऊ: सब पूछ रहे हैं क्या 'यूपी के लडके' अलग हो गए हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों ने ही बता दिया था कि 'यूपी को ये साथ पसंद नहीं है'. लेकिन वादा और इरादा तो बहुत दूर तक साथ चलने का था. तो फिर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी निकाय चुनाव अलग होकर क्यों लड़ रहे हैं?


पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन था. राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने साथ-साथ कई रोड शो किए. कांग्रेस के रनणीतिकार प्रशांत किशोर ने 'यूपी के लड़के बनाम बाहरी मोदी' का नारा दिया. लेकिन यूपी की जनता को यूपी के लड़कों का साथ पसंद नहीं आया. चुनाव में हार के बाद भी दोनों तरफ़ से कहा जाता रहा 'हम साथ साथ हैं' लेकिन निकाय चुनाव में तो किसी ने एक दूसरे को हाय हेलो तक नहीं किया.


अखिलेश यादव एक-एक कर टिकट बाँटते रहे. राहुल गांधी तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में फँसे हुए हैं. उनकी टीम ने ही टिकटों का एलान कर दिया. लगातार हार से पस्त पार्टी के लिए निकाय चुनाव बस खानापूर्ति है. वैसे केन्द्रीय मंत्री प्रदीप आदित्य जैन झाँसी से मेयर का चुनाव लड़ने उतर गए हैं.


निकाय चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस अलग अलग ज़रूर हैं. लेकिन भविष्य में साथ होने की गुंजाइश बची हुई है. साल भर बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियाँ शुरू हो जायेंगी. दोनों को पता है मोदी की बीजेपी को यूपी में अकेले रोक पाना बेहद मुश्किल है.