UP DGP Mukul Goel Transferred: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए यूपी पुलिस के महानिदेशक (DGP) मुकुल गोयल को हटा दिया है. यूपी के नए डीजीपी की नियुक्ति तक एडीजी एलओ (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार कार्यवाहक डीजीपी होंगे. नए डीजीपी को लेकर तीन नामों की चर्चा चल रही है. DG इंटेलिजेंस डीएस चौहान और आरके विश्वकर्मा के साथ आनंद कुमार भी रेस में हैं. तीनों ही अफसर 1988 बैच के हैं.


शासन की ओर से की गई कार्रवाई के बाबत जो संदेश जारी किया गया, वह शायद ही पूर्व में किसी डीजीपी को हटाने के पहले किया गया हो. इसमें लिखा गया कि "डीजीपी मुकुल गोयल को शासकीय कार्यों की अवहेलना, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने और अकर्मण्यता के चलते पद से हटा दिया गया है." इस प्रकार की शब्दावली इस्तेमाल किये जाने से सरकार की मुकुल गोयल से नाराजगी साफ जाहिर हो रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस के सबसे महत्वपूर्ण पद से गोयल को हटाकर डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेजा गया है, जिसे बेहद महत्वहीन कहा जा सकता है. सरकार का यह फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है.


22 फरवरी 1964 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मे मुकुल गोयल यूपी कैडर के सन 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. लगभग 35 साल की लंबी नौकरी में उन्होंने कई अहम पदों पर काम भी किया है और उन्हें उनके काम के लिए सम्मान भी मिला है. आईपीएस बनने से पहले गोयल ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल में बीटेक करने के साथ मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री हासिल की थी. 


आईपीएस बनने के बाद मुकुल गोयल की पहली तैनाती बतौर एडिशनल एसपी नैनीताल में हुई थी. प्रोबेशन पीरियड खत्म करने के बाद एसपी सिटी बरेली बनाए गए और बतौर कप्तान मुकुल गोयल का पहला जिला अल्मोड़ा रहा. अल्मोड़ा के बाद मुकुल गोयल लगातार कई जिलों में कप्तान रहे, जिसमें जालौन, मैनपुरी, आजमगढ़, हाथरस, गोरखपुर, वाराणसी, सहारनपुर, मेरठ शामिल रहें. वहीं ईओडब्ल्यू और विजिलेंस में भी उन्हें एसपी बनाया गया था.


महत्वपूर्ण तैनातियों के साथ ही मुकुल गोयल का गहरा नाता विवादों से भी रहा है. कुछ घटनाओं के चलते उनकी कार्यशैली पर भी सवाल उठे. इसी कड़ी में साल 2000 में मुकुल गोयल को एसएसपी के पद से सस्पेंड कर दिया गया था, जब पूर्व बीजेपी विधायक निर्भय पाल शर्मा की हत्या हो गई थी. 


यही नहीं साल 2006 के कथित पुलिस भर्ती घोटाले में कुल 25 IPS अधिकारियों का नाम सामने आए थे, जिसमें मुकुल गोयल का नाम भी शामिल था. पुलिस भर्ती घोटाले में नाम आने पर गोयल निलम्बित भी हुए थे. इसके अतिरिक्त मुज़फ़्फ़रनगर दंगा भी इनके कार्यकाल में हुआ तब मुकुल एडीजी कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात थे.


वहीं पुलिस की कार्यशैली को करीब से देखने वालों के मुताबिक साल 2017 के चुनाव में क़ानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा था. योगी सरकार आने के बाद एनकाउंटर पॉलिसी पर जोरशोर से काम हुआ, जिसके चलते पांच साल में करीब 156 अपराधी मारे गए. वहीं सीएम योगी की पसंद में हमेशा तेजतर्रार और ईमानदार अफसर ही आते रहे हैं. इधर जून-2021 में मुकुल गोयल का चयन बतौर डीजीपी हुआ तो यह माना गया कि वो सरकार की पसंद नहीं हैं. 


मुकुल गोयल के लिए कहा जाता रहा कि डीजीपी के तौर पर उन्होंने कभी अपनी क्षमताओं को पूरी तरह इस्तेमाल नहीं किया. बड़ी घटनाओं के वर्कआउट होने में रुचि न लेने के अलावा मीडिया से बहुत संवाद न होना भी उनका नकारात्मक पक्ष साबित हुआ. यही नहीं जिले के पुलिस अफसरों से बेहतर संवाद करने में भी उनकी बहुत रुचि देखने में नहीं आयी. खबर यह भी है कि उनसे मिलने आने वालों की आम शोहरत अच्छी न होना और एक राजनीतिक दल विशेष से लगाव की खबरें भी मुख्यमंत्री के दफ्तर तक पहुंच रही थीं. 


इन्हीं सब वजहों के चलते मुख्यमंत्री योगी ने भी मुकुल गोयल को चेतावनी दी थी. मगर आखिरकार बुधवार की रात सरकार ने डीजीपी को बदलकर न सुधरने वाले अफसरों को कड़ा संदेश दिया है. खबर यह भी है कि जल्द ही पुलिस मुख्यालय में गोयल के कुछ करीबियों पर भी गाज गिर सकती है. 


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