लखनऊ: बुलंदशहर के सुदीक्षा भाटी केस में अभी तक आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. एबीपी न्यूज़ ने इस खबर को प्रमुखता के साथ दिखाया था. मामला मीडिया में आने के बाद पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया.


इस मामले में सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि जो एफआईआर दर्ज हुई है उसमें छेड़छाड़ का जिक्र तक नहीं है. जबकि परिवार साफ-साफ कह रहा है कि मामला छेड़छाड़ का है. इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि सुदीक्षा के गुनहगार अब तक कहां हैं?


किन धाराओं में दर्ज हुआ केस, कितनी सजा का प्रावधान
इस मामले में पुलिस ने बुलेट सवार दो अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. पुलिस ने IPC की धारा 279, 304 A और मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177, 184, 192 के तहत केस दर्ज किया है.


आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 304A यानी लापरवाही से हुई मौत, इसमें अधिकतम 2 साल की सजा है. IPC की धारा 279 का मतलब है सार्वजनिक स्थान पर खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना, जिससे किसी जान खतरे में आ जाए. इस धारा के तहत महज 6 महीने की सजा का प्रावधान है.


मोटर वाहन अधिनियम की धारा 177 यानी गलत तरीके से ओवरटेकिंग करना. इस अपराध के लिए कोई सजा नहीं बल्कि सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है. धारा 184 यानी तेजी और लापरवाही से गाड़ी चलाने का मामला बनता है. इस मामले में 6 महीने से 2 साल की सजा का प्रावधान है. धारा 192 यानी बिना परमिट गाड़ी चलाना, इसमें अधिकतम 3 महीने की सजा दी जा सकती है.


परिवार का आरोप- छेड़छाड़ के दौरान एक्सीडेंट में गई जान
एफआईआर में सुदीक्षा के परिवार की तरफ से शिकायत की गयी है. परिवार के आरोपों के मुताबिक जिस बाइक पर सुदीक्षा अपने चाचा और भाई के साथ जा रही थी उसे दो बार ओवरटेक किया गया. इसके साथ ही जानबूझकर आगे ब्रेक लगाया गया, जिससे दुर्घटना घटी.


महिला आयोग ने लिया घटना का संज्ञान
वहीं इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लेते हुए यूपी के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी को पत्र लिखकर सही से जांच करने को कहा है.