लखनऊ: ताबड़तोड़ एनकांउटर के बीच ट्विटर की दुनिया में यूपी पुलिस की मुठभेड़ इस बार एमनेस्टी इंडिया से हो गई. बिना गोली बारूद के ही पुलिस ने मानवाधिकार संगठन को ढेर कर दिया. एमनेस्टी इंडिया ने 6 फरवरी को दोपहर में एक ट्वीट किया. इसमें बताया गया कि योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद 900 लोगों की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई है. एमनेस्टी ने आगे लिखा “राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग मानता है कि यूपी पुलिस अपने अधिकारों का ग़लत प्रयोग कर रही है”


सोशल मीडिया में ख़ास तौर से ट्विटर पर यूपी पुलिस बहुत एक्टिव है. जैसे ही उसे एमनेस्टी इंडिया के इस ट्वीट के बारे में पता चला वो ‘एक्शन’ में आ गई. यूपी पुलिस ने ट्वीट किया “ आपने संख्या बताने में बड़ी भूल की है. मुठभेड़ में सिर्फ़ 37 लोग मारे गए हैं और आपने ज़िंदा लोगों को भी मरा हुआ बता दिया, ऐसा तो न करें, वैसे हम पूरा रिसर्च कर आपको लीगल नोटिस भेजेंगे.”


इस ट्वीट का पता चलते ही एमनेस्टी इंडिया के ऑफिस में हड़कंप मच गया. क़ानूनी सलाह लेते हुए तुरंत ट्वीट किया गया कि “मरे और घायलों की संख्या बताने में हमसे भूल हुई”. लेकिन एमनेस्टी ने अब तक पुराना वाला ट्वीट डिलीट नहीं किया है.


इस घटना के बाद ट्विटर पर लोगों ने यूपी पुलिस के समर्थन में एमनेस्टी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. तरह तरह की बातें लिखी जा रही हैं. कुछ लोगों ने तो एमनेस्टी को देश विरोधी तक बता दिया. वहीं आकार पटेल के बारे में भी अनाप शनाप लिखा जा रही हैं. पटेल भारत में इस संस्था के बॉस माने जाते हैं.


मानवाधिकार हितों के लिए लड़ने का दावा करने वाली एमनेस्टी इंटरनेशनल एक ग़ैर सरकारी संस्था है. जिसका हेड ऑफ़िस लंदन में है. शांति का नोबेल पुरस्कार भी इसे मिल चुका है. 160 देशों में ये संस्था काम करती है. भारत में ये संस्था 1966 में आई. यहॉं इसे एमनेस्टी इंडिया के नाम से जाना जाता है.