नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने रविवार को ‘उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-2030’ जारी की और कहा कि बढ़ती जनसंख्या समाज में व्याप्त असमानता एवं अन्य समस्याओं की जड़ है तथा समाज की उन्नति के लिए जनसंख्‍या नियंत्रण प्राथमिक शर्त है. 


इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या विकास के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है और इससे गरीबी भी बढ़ती है. मुथख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज के विभिन्न तबकों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार इस जनसंख्या नीति को लागू करने का काम कर रही है. जनसंख्या नीति का संबंध केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के साथ ही नहीं है बल्कि हर एक नागरिक के ​जीवन में खुशहाली और समृद्धि का रास्ता उसके द्वार तक पहुंचाना भी है


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस एलान के साथ ही बयानों की बाढ़ शुरू हो गई. एक तरफ जहां बीजेपी इस फैसले का स्वागत कर रही है तो वहीं विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा बता रहा है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इसे सीधे सीधे चुनाव से जोड़ा है.


जनसंख्या नियंत्रण विधेयक को चुनावी प्रचार का हथकंडा बताया- एसपी सांसद
संभल में समाजवादी पार्टी (एसपी) के स्थानीय सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाने के उत्तर प्रदेश सरकार के कदम को चुनावी प्रचार करार देते हुए तंज किया कि इसके लिए शादियों पर प्रतिबंध लगाना बेहतर होगा ताकि बच्चे का जन्म ही न हो सके. बर्क ने कहा, ‘‘यह एक चुनावी प्रचार है. वे (भारतीय जनता पार्टी) सब कुछ राजनीतिक कोण से देखते हैं. वे चुनाव जीतना चाहते हैं लेकिन ईमानदारी से लोगों के हित में कोई निर्णय नहीं लेते हैं. चूंकि उप्र का विधानसभा चुनाव आ रहा है इसलिए वे इसके बारे में अधिक चिंतित हैं. लेकिन हम उन्हें जीतने नहीं देंगे.


कानून बनाने से पहले सरकार बताए कि उसके मंत्रियों के कितने बच्चे हैं : सलमान खुर्शीद
 कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि 'कानून बनाने से पहले सरकार को बताना चाहिए कि उसके मंत्रियों के कितने बच्चे हैं.' उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने से पहले यह सूचना देनी चाहिए कि उनके मंत्रियों के कितने बच्चे हैं, उसके बाद विधेयक लागू करना चाहिए.'


उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों को सांप्रदायिक रंग देने वाले देश के 'दुश्मन' हैं: नकवी
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इन प्रयासों को लेकर राजनीति करने वाले या सांप्रदायिक रंग देने वाले राज्य एवं देश के 'दुश्मन' हैं. नकवी ने कहा कि जनसंख्या को काबू करना समय की आवश्यकता है और यह खुशी की बात है कि जनसंख्या नियंत्रण का अभियान उत्तर प्रदेश से शुरू किया जा रहा है, जोकि देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है. बीजेपी नेता नकवी ने कहा कि जो लोग जनसंख्या नियंत्रण के अभियान को एक खास धर्म से जोड़ रहे हैं, वे 'अपनी खराब मानसिकता एवं सांप्रदायिक सोच' को थोपने का प्रयास कर रहे हैं.


दो हिस्सों में बंटी JDU की राय, सीएम और डिप्टी सीएम के अलग अलग बयान
इस मामले पर जेडीयू दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है.  एक तरफ नीतीश कुमार का कहना है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर चल रही चर्चा को लेकर कहा कि कानून से जनसंख्या को कंट्रोल नहीं किया जा सकता है.  उन्होंने कहा कि यदि देश की महिलाओं को शिक्षित किया जाए तो अपने-आप देश की जनसंख्या नियंत्रित हो जाएगी. 


वहीं दूसरी तरफ उन्हीं की सरकार में उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रेणु देवी नीतीश कुमार के इस विचार से सहमत नहीं हैं कि केवल महिलाओं के शिक्षित होने से ही जनसंख्या नियंत्रण संभव है. उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों को जागरूक करना ज्यादा जरूरी है. अपने बयान में रेणु देवी ने कहा है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को जागरूक करने की जरूरत है. 


देशभक्त मुसलमान जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध नहीं करेगा: अखाड़ा परिषद
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि देशभक्त मुसलमान जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध नहीं करेगा. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा, “देश में कुछ मुस्लिम धर्मगुरू इस कानून का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि बच्चे अल्लाह की देन हैं. वे हर मामले में अल्लाह को बीच में क्यों घसीटते हैं? देशभक्त और सच्चा मुसलमान इस कानून का विरोध नहीं करेगा क्योंकि उसे पता है कि यदि बच्चे कम होंगे तो वे उन्हें अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य दे पाएंगे.”


गिरि ने कहा, “मेरा सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं से निवेदन है कि वे इस कानून को सहृदय स्वीकार करें और लोगों को जागरूक करें. यह कानून इतना सख्त होना चाहिए कि यदि दो से अधिक बच्चे हों तो उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होना चाहिए, उसका आधार कार्ड नहीं बनना चाहिए, उसे सरकारी नौकरी नहीं मिलनी चाहिए, राशन कार्ड की सुविधा नहीं मिलनी चाहिए.”


एक बच्चे की नीति पर वीएचपी ने उठाए सवाल, कहा- दो बच्चे की पॉलिसी पर हो विचार
विश्व हिंदू परिषद की तरफ से भी उत्तर प्रदेश विधि आयोग को सुझाव भेजा गया है. अपने सुझावों में विश्व हिंदू परिषद ने राज्य विधि आयोग की प्रस्तावित एक बच्चे की नीति को हटाने की मांग की है. साथ ही सुझाव दिया है कि राज्य में दो बच्चों की नीति को लागू करना चाहिए. 


इसके लिए वीएचपी ने तर्क यह दिया है कि एक बच्चे की नीति उत्तर प्रदेश अलग-अलग समुदायों के बीच जनसंख्या असंतुलन पैदा कर सकती है, क्योंकि परिवार नियोजन और गर्भ निरोध के उपायों को लेकर सबकी सोच अलग है. उत्तर प्रदेश विधि आयोग को भेजे गए सुझाव में विश्व हिंदू परिषद ने उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून से एक बच्चे की नीति को हटाने का आग्रह किया है.