लखनऊ: यूपी में पोस्टर विवाद में अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने नया कदम उठाया है. हाईकोर्ट से पोस्टर हटाने और सुप्रीम कोर्ट से स्टे न मिलने के बाद अब यूपी सरकार ने सरकारी या निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई को लेकर एक अध्यादेश पास किया है. उत्तर प्रदेश रिकवरी पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को शुक्रवार शाम को हुई कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. किसी आंदोलन धरना प्रदर्शन में सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जाएगा तो उसकी क्षतिपूर्ति की व्यवस्था इसी में की जाएगी. इसके लिए नियमावली तैयार की जाएगी लेकिन फिलहाल अध्यादेश लाया गया है. नियमावली में इस बात को भी स्पष्ट किया जाएगा कि पोस्टर लगा सकते हैं या नहीं.


हाईकोर्ट से योगी सरकार को लगा था झटका


लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में 57 आरोपियों से क्षतिपूर्ति के नोटिस के बाद योगी सरकार ने शहरभर में चौराहों पर आरोपियों के पोस्टर लगा दिए थे. लखनऊ के पोस्टर्स की चर्चा जब मीडिया के जरिए जगह जगह होने लगी तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रविवार को छुट्टी के दिन इस मामले में संबंधित अधिकारियों को तलब कर लिया. यूपी सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए पोस्टर लगाने को जायज ठहराया था. कोर्ट सरकार के तर्क और रुख़ से संतुष्ट नहीं हुई और राज्य सरकार को पोस्टर्स हटाकर 16 मार्च तक रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. इसके बाद भी यूपी सरकार ने पोस्टर्स नहीं हटाये और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया.


सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी कोई फौरी राहत


यूपी सरकार के हाईकोर्ट के चुनौती देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया. सुप्रीम कोर्ट में 2 जजों की पीठ ने इस मामले को 3 जजों की बेंच को ट्रांसफर कर दिया. अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई है और तीन जजों की पीठ को मामला ट्रांसफर कर दिया है.


ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस 3 जजों की पीठ का गठन करेंगे और तब सुनवाई की तारीख़ तय होगी. ज़ाहिर है ये प्रक्रिया 16 मार्च से पहले नहीं पूरी हो सकती क्योंकि शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट बन्द रहता है. ऐसे में यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर एक विकल्प निकाला है.


फिलहाल क्या अध्यादेश को आधार बनाकर 16 मार्च के बाद तक पोस्टर्स लखनऊ के चौराहों पर लगे रह सकते हैं या फ़िलहाल सरकार इन पोस्टर्स को हटाकर भविष्य का आधार तैयार कर रही है, ये विधिक मसला है. कानूनी जानकार इन मामले का अध्ययन कर स्थिति साफ़ कर पाएंगे लेकिन अध्यादेश लाने के फैसले से साफ़ है कि योगी सरकार पोस्टर विवाद में झुकने या पीछे हटने को तैयार नहीं है.