अयोध्या: अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन रामलला को सैंप दी है साथ ही कोर्ट ने मस्जिद निर्माण के लिए भी पांच एकड़ जमीन देने की बाद कही थी. जिसके बाद अब यहां सरकारी जमीन की तलाश शुरू हो गई है. हालांकि अभी सरकारी रूप से इस मुद्दे पर बयान देने से अधिकारी बच रहे हैं. लेकिन मौखिक आदेश के तहत तहसील के लेखपालों को इस कार्य के लिए लगाया गया है. तहसील सूत्रों के अनुसार, पांच एकड़ सरकारी जमीन अच्छी लोकेशन पर मिल पाना बहुत मुश्किल है. इसी कारण भगवान राम की सबसे बड़ी प्रतिमा को लगाने के लिए मीरापुर मांझा गांव को चुना गया है. वहां के किसानों से बातचीत हो रही है. सॉलिड वेस्ट मैंनेंजमेंट बनाने के लिए नगर निगम को खुद जमीन चाहिए. ऐसे में अभी बहुत सारे पेंच नजर आ रहे हैं, जो कि पांच एकड़ जमीन की खरीदारी में रोड़ा अटका रहे हैं.


हालांकि निर्णय के बाद कुछ खुद सामने आकर जमीन देने की बात कह रहे हैं. मीर बाकी के रिश्तेदार रजी हसन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सभी से स्वीकार करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि मस्जिद के निर्माण के लिए यदि सरकार पहल करती है तो वह सहनवां में जमीन देने को तैयार हैं.


उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी अदालत से फैसला आने के बाद से बातों का वक्त खत्म हो गया है. अब कुछ करने का समय है. ऐसे में इस संवेदनशील मुद्दे के लिए सबको आगे आना चाहिए और मिल बैठकर यह मामला निपटा लेना चाहिए."


एक निजी विद्यालय के चेयरमैन डॉ. संजय तिवारी भी अपनी जमीन देने के लिए सामने आए हैं. उनकी जमीन 14 कोसी परिक्रमा के नजदीक है। उनका कहना है कि यदि सरकार चाहे तो मस्जिद के लिए उनकी जमीन का इस्तेमाल कर सकती है.


सोहावल तहसील के मुस्तफाबाद निवासी राजनारायण दास ने मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन दान देने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने बताया कि उनकी यह जमीन सोहावल तहसील के मुस्तफाबाद गांव में है. राजनारायण ने कहा कि "सरकार हमसे मुफ्त में जमीन लेकर मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंप दे. इसके लिए जल्द ही जिलाधिकारी से मिलकर जमीन दान करने का प्रस्ताव सौंपूंगा."


अब सुन्नी वक्फ बोर्ड इसमें कानूनी राय लेने जा रहा है. इस जमीन पर मस्जिद बनाने के साथ ही वेलफेयर के क्या-क्या काम हो सकते हैं, इस पर फैसला कानूनी राय आने के बाद लिया जाएगा.


अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज झा ने बताया, "सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जमीन के बारे में किसी से किसी प्रकार का संपर्क नहीं किया गया है. क्योंकि जमीन सरकार को देनी है. सरकार इसके लिए गाइडलाइन तय करेगी, इसके बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा."


सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अहम बातें


सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से किए गए फैसले में 2.77 एकड़ की पूरी विवादित भूमि को रामलला को दे दिया. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित करने के आदेश भी सरकार को दिए. जिस पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ये फैसला सुनाया. इसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.



पूरा फैसला 1045 पन्नों का है, इसमें 929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं. एक जज ने फैसले से अलग राय जताई है. अभी जज के नाम का कोई जिक्र नहीं है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 40 दिन सुनवाई चली. 6 अगस्त 2019 से इसपर सुनवाई शुरू हुई. 16 अक्टूबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी.


बिहार में एक ऐसा धर्मशाला जिसमें केवल 70 रुपये में फाइव स्टार होटल जैसी मिलेगी सुविधा, जानिए खासियत


अग्नि-2 का पहला रात्रि परीक्षण सफल, 2000 किलोमीटर तक प्रहार करने में सक्षम है मिसाइल


जज से शायर बने अकबर इलाहाबादी की गजल हंगामा है क्यों बरपा