लखनऊः यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन को स्वीकार कर लिया है. आज लखनऊ में बोर्ड की बैठक के बाद अध्यक्ष जुफर फारुकी ने कहा, 'राज्य सरकार की तरफ से आवंटित जमीन पर मस्जिद के साथ चैरिटेबल हॉस्पिटल, लाइब्रेरी और इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा'.


ज़ुफर फारुकी ने कहा '9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में किसी उचित जगह पर वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दिए जाने का आदेश दिया था. इस जमीन को स्वीकार न करना कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी. बोर्ड की बैठक के बाद आज हमने यह तय किया कि हम जमीन को स्वीकार करते हैं. जल्दी ही जमीन पर मस्जिद के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया जाएगा.'


गौरतलब है कि यूपी सरकार ने वक्फ बोर्ड को अयोध्या में राम जन्मभूमि से करीब 25 किलोमीटर दूर सोहावाल इलाके के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कुछ संगठन इसका विरोध कर चुके हैं. आज बोर्ड की लखनऊ में हुई बैठक का भी दो सदस्यों अब्दुल रज़्ज़ाक और इमरान माबूद ने बहिष्कार भी किया. लेकिन अध्यक्ष ज़ुफर फारूकी समेत बाकी सदस्यों अदनान फारुख शाह, सैयद अहमद अली, जुनैद सिद्दीकी, अबरार अहमद और जुनैद अहमद ने इसे स्वीकार करने का फैसला किया.


बोर्ड के अध्यक्ष ने बैठक के बाद बताया कि मस्ज़िद के आकार, नाम और बाकी बातों पर फैसला ट्रस्ट करेगा. इसके साथ ही जल्द ही ट्रस्ट के गठन कर दिया जाएगा. मस्ज़िद और चैरिटेबल हॉस्पिटल, लाइब्रेरी और इंडो इस्लामिक रिसर्च सेंटर निर्माण के लिए ट्रस्ट समाज से योगदान भी लेगा. ज़ुफर फारुकी का कहना है कि 5 एकड़ जमीन में भारत में इस्लामिक संस्कृति के इतिहास और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को दिखाते हुए एक रिसर्च सेंटर भी बनाया जाएगा.


9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर दिए ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने पूरी 2.77 एकड़ विवादित ज़मीन रामलला को देने का आदेश दिया था. उसी फैसले में कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार अयोध्या में ही किसी उचित जगह पर सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ वैकल्पिक ज़मीन देगी.