Shalu Robot: रजनीकांत की फिल्म देखकर बनाया पढ़ाने वाली रोबोट, 47 भाषाओं का है ज्ञान, इस स्कूल में कर रही नौकरी
Shalu Robot Story: उत्तर प्रदेश के रहने वाले टीचर दिनेश पटेल ने शालू रोबोट बनाया है. इसे बनाने के लिए उन्होंने वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल किया है. इसकी लागत 50 हजार रुपये से भी कम आई.
Shalu Robot of Kendriya Vidyalaya in Mumbai: मुंबई में आईआईटी (IIT Bombay) परिसर स्थित केंद्रीय विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने के लिए एक रोबोट (Robot) की सेवा ली जा रही है. रोबोट को एक महिला टीचर (Lady Teacher Robot) के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इस रोबोट का नाम शालू है. शालू रोबोट (Shalu Robot) को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर (Jaunpur) के रहने वाले शिक्षक दिनेश पटेल (Dinesh Patel) ने बनाया है. दिनेश पटेल मुंबई के इस केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalaya) में पढ़ाते हैं. उन्हें शालू रोबोट बनाने में पांच साल का समय लगा.
मजे की बात यह है कि रजनीकांत की फिल्म रोबोट से प्रेरणा लेकर उन्होंने शालू को बनाने के बारे में सोचा था. शिक्षक दिनेश पटेल ने रोबोट को महिला के तौर पर क्यों पेश किया और उसका नाम शालू क्यों रखा, इसके पीछे उन्होंने भावनात्मक वजह बताई. दिनेश पटेल के मुताबिक, उनकी पत्नी ने रोबोट को ऐसा रूप देने का सुझाव दिया था. दिनेश और उनकी पत्नी की कोई बेटी नहीं है, इसलिए इसलिए रोबोट को इस तरह बनाया. अब शालू रोबोट मुंबई के केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक दिनेश पटेल की बेटी के तौर पर बच्चों को पढ़ाती है.
कैसे काम करती है शालू रोबोट?
शालू रोबोट हफ्ते में दो दिन बच्चों को कंप्यूटर विषय पढ़ाती है. बच्चों पढ़ाए जाने वाले टॉपिक की फाइल रोबोट में अपलोड कर दी जाती है, इसके बाद शालू क्लास लेने लगती है. बच्चों के सवालों के जवाब शालू फटाफट देती है. पटेल के मुताबिक, शालू रोबोट दुनिया की 47 भाषाओं में पढ़ाने में सक्षम है, जिनमें नौ भारतीय भाषाएं शामिल हैं. वह बताते हैं कि शालू रोबोट से पढ़ने में बच्चों को खूब मजा आता है. मजे की बात यह भी है कि शालू रोबोट को बनाने में 50 हजार रुपये से भी कम लागत आई है. पटेल के मुताबिक, इसे बनाने में वेस्ट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है.
शालू रोबोट के नाम कई रिकॉर्ड दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें भारत सरकार के कार्मिक मंत्रयालय द्वारा दर्ज प्रतिष्ठा वर्ल्ड रिकॉर्ड भी शामिल है. इसके अलावा, शालू रोबोट के नाम इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स दर्ज हैं.
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