नई दिल्ली: लखनऊ में विधानसभा और सीएम हाऊस के बाहर आलू फेंके जाने का मामला तूल पकड़ चुका है. अब इस मामले में नया एंगल सामने आया है. बताया जा रहा है कि आलू फेंकने वाले किसान नहीं बल्कि सामाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता थे.


मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री और सामाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर पलटवार किया है. अखिलेश ने प्रदेश की योगी सरकार पर अरोप लगाते हुए कहा कि सरकार गरीब किसानो को गिरफ्तार कर रही है.


लखनऊ पुलिस ने इस मामले में कन्नौज से सपा के दो नेताओं को गिरफ्तार किया है. कहा जा रहा है कि आलू फेंकने की योजना अखिलेश यादव के दो करीबी नेताओं ने मिल कर बनाई थी. आलू फेंकने की घटना को योगी सरकार ने बदनाम करने की साजिश बताया था.



कड़ाके की ठंड के बीच लखनऊ के वीवीआईपी इलाके में जहां मुख्यमंत्री से लेकर राजयपाल, मंत्री और बड़े बड़े अफसर रहते हैं वहां लोग जब छह जनवरी की सुबह जागे तो हर तरफ सड़कों पर आलू फैला था. आलू, कन्नौज के कोल्ड स्टोरेज से आठ गाड़ियों में भर कर लखनऊ लाया गया था.


यूपी पुलिस को अनुसार कन्नौज  में समाजवादी पार्टी नेता कक्कू चौहान और एक महिला नेता के पति ने ये पूरी प्लानिंग की थी.  पांच जनवरी को सब लोग समाजवादी पार्टी के यूथ विंग के लखनऊ ऑफिस के पास जमा हुए थे.


पूर्व सीएम अखिलेश यादव के दो करीबी नेता भी यहां पहुंचे. सबने साथ खाना खाया. तय हुआ कि सवेरे-सवेरे लखनऊ की आठ जगहों पर आलू फेंके जाएंगे. कन्नौज के प्रदीप सिंह और अंकित सिंह को ये काम दिया गया. सीसीटीवी कैमरों में गाड़ी और आलू फेंकने वालों की तस्वीरें पुलिस ने निकाल ली हैं. मोबाइल फ़ोन पर उनके लोकेशन से पुलिस ने इस पूरे खेल से परदा उठा दिया है.  इस मामले में  समाजवादी पार्टी के एक नेता  और उनकी फॉर्चूनर गाड़ी को पुलिस ने पकड़ लिया है.


अंकित भी गिरफ्तार  हो चुका है.  लेकिन यूपी पुलिस ने  अखिलेश यादव के उन दो करीबी नेताओं के नाम का खुलासा नहीं किया है जिन्होंने आलू फेंकने की  योजना बनायी थी.  इस घटना के बाद राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इसे योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश बताया था.