लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को लेकर विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पैसा लेकर आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है और लोगों को गुमराह किया जा रहा है.
उन्होंने कहा , ‘‘हम सब जानते हैं बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो आपने पिछले छह महीने के दौरान परिवर्तित होते हुए देखी होंगी. वास्तव में जो कार्य आगे बढ़ाए गए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में... वो 1947 के बाद ही प्रारंभ हो जाने चाहिए थे. जो कदम पिछले छह महीने के दौरान उठाए गए हैं, चाहे वह कश्मीर में धारा 370 समाप्त करने का, तीन तलाक की प्रथा को सदैव समाप्त करने का रहा हो या फिर 500 वर्षों के कलंक को समाप्त कर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को प्रशस्त करने की बात हो या फिर भारत की परंपरा के अनुरूप शरण में आए हुए कि हम रक्षा करेंगे.’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को या धार्मिक रूप से पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत के अंदर शरण देने का महान कार्य हो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने किया. उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से उनका हृदय से स्वागत और अभिनंदन करता हूं."
योगी ने कहा कि सचमुच यह कार्य 1947 के बाद 1950 में हो जाना चाहिए था लेकिन हिम्मत नहीं थी सरकारों में. वह नहीं कर पा रही थी लेकिन मानवता के हित में जो कदम उठाया गया है, आज कांग्रेस सपा और विपक्षी दलों द्वारा भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है.
उन्होंने कहा कि ऐसे में हम एक-एक व्यक्ति तक जाएं और समझाएं कि नागरिकता संशोधन कानून नागरिकता देने का कानून है, नागरिकता लेने का नहीं .
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन झूठ के पांव नहीं होते. झूठ को सौ बार बोलने से वह सच नहीं हो सकता . वामपंथ की इस थ्योरी को फिर से नकारने की आवश्यकता है और जो सत्य है वह हमेशा सत्य रहेगा.
उन्होंने कहा कि देश के भीतर देश के दुश्मनों की भाषा बोलने का कार्य कांग्रेस सपा और विपक्षी दल कर रहे हैं. हम सब मौन नहीं बने रह सकते. कांग्रेस, सपा, बसपा का दुष्प्रचार द्रोपदी के चीर हरण से कम नहीं है.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे 'नागरिकता अधिनियम 1955' नाम दिया गया. मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन किया है जिसे 'नागरिकता संशोधन बिल 2016' नाम दिया गया है. पहले 'नागरिकता अधिनियम 1955' के मुताबिक, वैध दस्तावेज होने पर ही लोगों को 11 साल के बाद भारत की नागरिकता मिल सकती थी.
किन देशों के शरणार्थियों को मिलेगा फायदा?
इस कानून के लागू होने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थी यानी हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी. मतलब 31 दिसंबर 2014 के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.
देश में कहां-कहां लागू नहीं होगा ये कानून?
नागरिकता संशोधन बिल की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में लागू नहीं होगा (जो स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों से संबंधित है), जिनमें असम, मेघायल, त्रिपुरा और के क्षेत्र मिजोरम शामिल हैं. वहीं ये बिल उन राज्यों पर भी लागू नहीं होगा, जहां इनर लाइन परमिट है. जैसे अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम.
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