लखनऊ: कोरोना वायरल महामारी के बीच उत्तर प्रदेश में योगी कैबिनेट ने आज कोरोना वारियर्स को लेकर अध्यादेश पास कर दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में “उत्तर प्रदेश लोकस्वास्थ्य और महामारी रोग नियंत्रण अध्यादेश 2020“ में स्वास्थ्य-सफ़ाई और सुरक्षा कर्मियों को लेकर कठोर कानून बनाए गए हैं.
क्वॉरंटीन सेंटर से भागे तो होगी तीन साल तक की सजा
यूपी में अगर कोई कोरोना का मरीज़ जानबूझकर कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करता है तो उसे एक से तीन साल तक की सजा हो सकती है. क्वॉरंटीन सेंटर से भागने वालों को भी इतनी ही सजा और 1 लाख तक का जुर्माना लग सकता है.
नए क़ानून के मुताबिक, स्वास्थ्य कर्मियों, सभी पैरा मेडिकल कर्मियों, पुलिस कर्मियों और स्वच्छता कर्मियों के साथ ही शासन की तरफ़ से तैनात किसी भी कोरोना वॉरियर से की गई अभद्रता या हमले पर छह महीने से लेकर सात साल तक की सजा का प्रावधान है. इतना ही नहीं 50 हजार से लेकर 5 लाख तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.
उकसाने या भड़काने पर सख्त कार्रवाई होगी
चिकित्सकों, सफाई कर्मियों, पुलिस कर्मियों और किसी भी कोरोना वारियर्स पर थूकने या गंदगी फेंकने पर और आइसोलेशन तोड़ने पर भी होगी इस कानून के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोरोना वारियरिर्स के ख़िलाफ़ समूह को उकसाने या भड़काने पर भी नए क़ानून के तहत सख्त कार्रवाई होगी. इसके लिए दो से पांच साल तक की सजा और पचास हजार से 2 लाख तक के जुर्माने का भी प्रवाधान किया गया है.
नए अध्यायदेश के मुताबिक, मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक राज्य महामारी नियंत्रण प्राधिकरण बनेगा, जिसमें मुख्य सचिव सहित सात अन्य अधिकारी सदस्य होंगे. तीन सदस्यीय जिला महामारी नियंत्रण प्राधिकरण होगा, जिसका अध्यक्ष डीएम होगा. राज्य प्राधिकरण महामारी के रोकथाम नियंत्रण से संबंधित मामलों में सरकार को परामर्श देगा, जबकि जिला प्राधिकरण जिले में विभिन्न विभागों के क्रियाकलापों के साथ समन्वय स्थापित करेगा.
फटाफट जानिए कानून और सजा-
- क्वरंटाइन का उल्लंघन करने पर एक से तीन साल की सजा और जुर्माना दस हजार से एक लाख तक का होगा.
- अस्पताल से भागने वालों के खिलाफ एक साल से तीन साल तक की सजा और जुर्माना दस हजार एक लाख तक होगा.
- अश्लील और अभद्र आचरण करने पर एक से तीन साल की सजा और जुर्माना पचास हजार से एक लाख तक का होगा.
- अगर कोई कोरोना मरीज स्वयं को छिपाएगा तो उसे एक साल से लेकर साल की सजा हो सकती है और पचाज हजार से एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
- अगर कोरोना मरीज जानबूझ कर सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से यात्रा करता है तो उसके लिए एक साल से तीन साल तक की सजा और पचास हजार से 2 लाख तक का जुर्माना हो सकता है.