बैंकों के कर्ज में डूबने के लिए पहले की सरकारें जिम्मेदार, एक-एक पाई वसूल की जाएगी: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने आज इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के शुभारंभ के मौके पर कहा कि बैंकों के कर्ज में डूबने के लिए पहले की सरकारें जिम्मेदार थीं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्ज में डूबे बैंकिंग क्षेत्र की भारी समस्या के लिये पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है. पीएम मोदी ने आज इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के शुभारंभ के मौके पर कहा कि बैंकों के कर्ज में डूबने के लिए पहले की सरकारें जिम्मेदार थीं. जितना कर्ज आजादी के बाद नहीं बांटा गया उतना यूपीए ने पिछले दो कार्यकाल में बांट दिया.
पीएम ने कहा कि पिछली सरकारों के समय 'फोन पर कर्ज' दे दिया जाता था और उन्होंनें इसे ही घोटाले के पीछे का जिम्मेदार ठहराया. साथ ही उन्होंने कहा कि ‘नामदारों’ के इशारे पर बांटे गए कर्ज की एक-एक पाई वसूल की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को डाक विभाग के भुगतान बैंक का शुंभारंभ करने के दौरान कहा कि चार-पांच साल पहले तक बैंकों की अधिकांश पूंजी केवल एक परिवार के करीबी धनी लोगों के लिए आरक्षित रहती थी.
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रुपयों का लोन दिया गया था. लेकिन उसके बाद के 6 सालों में यह आंकड़ा 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. मोदी ने बगैर किसी का नाम लिए कहा, "नामदारों द्वारा किए फोन कॉल पर कर्ज दिये गये. उन्होंने कहा कि नामदारों की सफारिश पर बैंकों ने कारोबारियों को नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपये उधार दिये.
बैंकों ने कुछ लोगों को एक परिवार के आदेश पर लोन दिए: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि लोन का पैसा वापस नहीं किया जाएगा, बैंकों ने कुछ लोगों को एक परिवार के आदेश पर लोन दिए. जब लोन लेने वालों ने लोन की किश्तें भरने में करने में लापरवाही दिखाई की तो बैंकों पर उस लोन को पुनर्गठित करने का दबाव डाला गया.
पिछले चार साल में नियमों का सख्ती से हुआ पालन: प्रधानमंत्री
उन्होंने पिछली सरकार पर एनपीए से जुड़ी जानकारी छिपाने का आरोप लगाया. पीएम मोदी ने कहा कि 2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद स्थिति का बड़े पैमाने पर विश्लेषण किया और बैंकों को बकाया कर्जों की वसूली सख्ती से करने को कहा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की राह में बारूदी सुरंग बिछा दी. हमारी सरकार ने एनपीए की सही तस्वीर पेश की और पिछली सरकार के घोटालों को सामने लाया गया. पिछले चार सालों के दौरान 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि वाले सभी कर्जों की समीक्षा की गयी है और नियमों का सख्ती से पालन करने के लिये कहा गया है.
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