नई दिल्लीः पीएनबी के महाघोटाले में जांच एजेंसी को जो दस्तावेजों का पुलिंदा सौंपा गया उससे ये जाहिर हुआ कि इसे पकड़ने में यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकारें फेल रही. इतना ही नहीं इसके साथ ही आरबीआई को भी घोटाले की भनक नहीं लग पाई. घोटाले के बाद जागे आरबीआई ने एक सप्ताह पहले रोलबैक पर रोक लगाई है.


साढे 11 हजार करोड रुपये के घोटाले की जांच के दौरान अब ये साफ होने लगा है कि ये घोटाला यूपीए के राज से ही शुरू हुआ. एनडीए के राज में पीएनबी स्कैम और फला फूला. यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकारें बैकिंग सिस्टम के भीतर जारी इस गड़बड़झाले को पकड़ने में नाकाम रही.


सूत्रों के मुताबिक पीएनबी ने जांच एजेंसियो को दस्तावेजों का नया जखीरा सौप दिया है और इन दस्तावेजो की आरंभिक जांच के दौरान पता चला है कि दोनों सरकारों के साथ आरबीआई भी इस घोटाले को पकड़ने मे नाकाम रहा जबकि उसके ऑडिटर इस बैंक की आडिट भी करते थे.


सूत्रों के मुताबिक घोटाले की नींव 2011 में ही पड़ी जिस दौरान यूपीए की सरकार थी


. पीएनबी घोटाले में मार्च 2011 में पहली बैंक गारंटी दी गई.
. उस बैंक गारंटी के जरिए जून 2011 तक पहली रकम निकाली गई.
. इसके बाद मामा-भांजे के रोलबैक लेने का खेल शुरू हुआ
.  रोलबैक का मतलब है कि नया कर्ज लेते गए पर पुराना चुकाया नहीं
. और उसे ब्याज के साथ और आगे के लिए बढ़वाकर. फिर नया लोन ले लिया गया


इस तरह से धीरे धीरे ये घोटाला बढ़ता गया और 7 साल बाद यानी 2018 में साढ़े 11 हजार करोड़ तक पहुंच गया. जांच एजेंसियां अब इस बात का पता लगाने में भी लगी हैं कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने पुराने कर्ज की कितनी धनराशि वापस की है. इसी जांच से इस बात का खुलासा भी हो पाएगा कि कितना घोटाला यूपीए के वक्त हुआ और कितना एनडीए के वक्त हुआ.


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