नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सोमवार को 73 साल की हो गईं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं.  साथ ही पार्टी कार्यकर्ता भी लगातार उन्हें बधाई संदेश दे रहे हैं. सोनिया के जन्मदिन पर उनके घर के बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता उन्हें जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे हुए हैं. पर इस बार सोनिया गांधी अपना जन्मदिन नहीं मना रही हैं क्योंकि वह  महिलाओं के खिलाफ बढ़ते आपराधों और  दुष्कर्म की बढ़ रही घटनाओं से दुखी हैं.


जन्मदिन के मौके पर आज हम आपको सोनिया गांधी की जिंदगी के कुछ पहलुओं से वाकिफ करवाते हैं.


कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय हुई राजीव-सोनिया की मुलाकात


इटली के विसेन्जा से कुछ दूर एक छोटे से गांव लूसियाना में 9 दिसंबर 1946 को उनका जन्म हुआ. इसके बाद वो 1964 में इंग्लैंड चली गईं. सोनिया इटली की रहने वाली थीं. दोनों की मुलाकात कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुई थी. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में उन्होंने इंग्लिश लैंगवेज की पढ़ाई की. इसी दौरान उनकी मुलाकात भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से हुई. दोनों में प्यार हुआ और जिंदगी के सफर में सोनिया गांधी परिवार की बहू बनकर भारत आ गईं. राजीव गांधी ने 1968 में सोनिया गांधी से शादी की थी.


राजीव गांधी से शादी के कई सालों के बाद उन्होंने 1983 में भारतीय नागरिकता ली. साल 1997 में उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली और 1998 में वो पार्टी अध्यक्ष बनीं. इसके बाद सोनिया गांधी 1999 में अमेठी से सांसद बनीं और लोकसभा में विपक्ष की नेता.


 न चाहते हुए भी सोनिया गांधी को राजनीति में आना पड़ा


भारत ने जैसे उन्हें अपनाया वैसे ही सोनिया गांधी ने भी भारत को अपना लिया. सोनिया गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि राजीव गांधी राजनीति में आएं लेकिन इंदिरा गांधी के मौत के बाद उन्हें राजनीति में आना पड़ा ठीक उसी तरह जब आत्मघाती हमले में राजीब गांधी की मृत्यु हुई तो न चाहते हुए भी सोनिया गांधी को राजनीति में आना पड़ा.


सोनिया गांधी के सियासी सफर पर एक नजर
सोनिया गांधी पहली बार 1999 में सांसद बनीं. उन्होंने यूपी की अमेठी सीट से चुनाव जीता और वो लोकसभा में विपक्ष की नेता चुनी गईं. इसके बाद 2004 के आम चुनावों में उनकी अगुवाई में कांग्रेस ने एनडीए को करारी शिकस्त दी. वो खुद इस चुनाव में सांसद बनीं. 23 मार्च 2006 को सांसद पद से इस्तीफा देकर उन्होंने उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.


2009 में भी वो रायबरेली से जीतीं और 2014 में फिर एक बार वह अपनी सीट पर जीतने में कामयाब रहीं. इससे पहले 2004 में बात जब प्रधानमंत्री बनने की आई तो सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह का नाम आगे कर दिया. इसके बाद 2009 में भी उन्होंने यूपीए सरकार को मनमोहन सिंह का नेतृत्व दिया.


सोनिया गांधी ने एक बार फिर से कांग्रेस में जान फूंक दी थी. 2004 के आम चुनावों में उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस सरकार में आई. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान न केवल अपनी राजनीतिक क्षमता का लोहा मनवाया बल्कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) बनाने और सभी विपक्षी दलों के लिए मार्गदर्शक नेतृत्व की भूमिका निभाने की शानदार काबीलियत को भी दर्शाया. रादजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि सोनिया गांधी ही प्रधानमंत्री बनेंगी लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी मनमोहन सिंह को दी.


सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सबसे ज्यादा सालों तक बनी रहीं. वो इस पद पर 1998-2017 तक रहीं. फिलहाल वो यूपीए की चेयरपर्सन के तौर पर काम कर रही हैं.


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