Uphaar Cinema Fire: दिल्ली के उपहार अग्निकांड मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ के दोषी अंसल बंधुओं-सुशील और गोपाल अंसल को पटियाला हाउस कोर्ट ने सात-सात साल की सज़ा सुनाई है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक दोनों भाईयों में से हर एक को 2.25 करोड़ का जुर्माना भी देना होगा. जुर्माने की ये राशि पीड़ितों को मिलेगी.


पटियाला हाउस अदालत कर चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने अंसल बन्धुओं के अलावा पूर्व कोर्ट स्टाफ दिनेश चंद शर्मा और दो अन्य आरोपियों पीपी बत्रा और अनूप सिंह को भी दोषी मानते हुए 7-7 साल की सज़ा की सज़ा सुनाई है.


सीएमएम ने फैसले में क्या कहा


चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने अपने आदेश में कहा की न्यायपालिका की बुनियाद लोगों के विश्वास और आस्था पर टिकी है और इस बुनियाद को चोट पहुंचाने वाली किसी भी हरकत से सख्ती से निपटे जाने की ज़रूरत है. इस मामले में कम सज़ा लोगों के न्यायपालिका में मौजूद विश्वास को ही ठेस पहुंचाएगी.


इस तरह के अपराध में सज़ा में कोई भी रियायत देना पीड़ितों और आम नागरिकों के दुःख और निराशा से आंख मूंद लेना होगा. समाज की सामूहिक पीड़ा को इस मामले में उपयुक्त सज़ा के जरिये ही दूर किया जा सकता है. ऐसी सज़ा ज़रूरी है, जो इस तरह के अपराध की पुनरावृत्ति को रोक सके.


क्या है मामला


ये मामला दरअसल 1997 में उपहार सिनेमा अग्निकांड से जुड़ा है. इस हादसे में 59 लोगों की जान चली गई थी. इसके मुख्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बन्धुओं को दो-दो साल की सज़ा सुनाई थी. हालांकि कोर्ट ने जेल में उनके बिताए गए समय को ध्यान में रखते हुए इस शर्त पर रिहा करने का आदेश सुना दिया था कि वो दोनों 30-30 करोड़ की राशि ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए देंगे.


सबूतों के साथ छेड़छाड़ के दोषी अंसल बधुओं को 7-7 साल की सज़ा सुनाई. अंसल बधुओं के खिलाफ पिछले 25 सालों से इंसाफ के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे नीलम कृष्णमूर्ति और शेखर कृष्णमूर्ति ने इस हादसे में अपने दो बच्चों को खो दिया था. उन्होंने कहा कि आज अदालत के फैसले से बहुत राहत मिली है. अंसल बंधु आज जेल चले गए. ये लड़ाई इंसाफ की थी.


दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का आरोप था


इन लोगों ने पैसे और प्रभाव के बल पर अदालत के अंदर से सबूत मिटाने का काम किया. हमने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चक्कर लगाए. इसके बाद हाइ कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई एक समय सीमा के अंदर पूरी की जाए. आज अदालत ने दोनों को सजा सुना कर हमारी पीड़ा पर मलहम लगाया है.


स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर ए टी अंसारी ने इस केस के क़ानूनी पहलुओं पर बात करते हुए कहा कि काफी दलीलों और सबूतों के आधार पर आज का फैसला मुमकिन हुआ है. जिन दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ का आरोप था, उनकी बतौर सबूत अहमियत थी. उसी से स्पष्ट होता कि अंसल बंधुओ की इन्वॉल्वमेंट सिनेमाघर के कामकाज में थी. इन लोगों ने अदालत के अंदर से हजारों पन्नो के दस्तावेजों को गायब करवाया, उन पर श्याही गेर दी. कड़ी मशक्कत के बाद सारे सबूत ऑन रेकॉर्ड लाये गए, तब इन्हें सजा मिली है.


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