नई दिल्ली: दो मार्च को शुरू हुए संसद सत्र के शुरुआती हफ़्ते में न के बराबर काम हुआ. दिल्ली हिंसा पर तुरन्त चर्चा की मांग कर रहे विपक्ष ने लगातार हंगामा किया और नौबत यहां तक आ गई कि कांग्रेस के सात सदस्यों को सदन से निलंबित करना पड़ा. सरकार ने होली की छुट्टी के बाद यानि 11 मार्च से दिल्ली हिंसा पर चर्चा करवाने का ऐलान किया था. आज लोकसभा में आख़िरकार नियम 193 के तहत इस मामले पर चर्चा प्रस्तावित है और उम्मीद थी कि अब संसद शांति से चल पाएगी लेकिन संसद के सुचारू रूप से चलने में नई बाधाएं सामने आ गई हैं.
मध्य प्रदेश की सियासत का असर पड़ेगा
आज संसद में सबसे पहले मध्य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामे की छाया पड़ना तय है. जिस तरीक़े से कांग्रेस के 20 से ज़्यादा विधायकों ने पार्टी से इस्तीफ़ा दिया है उसको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर सत्ता के लिए तोड़फोड़ का आरोप लगाया है. ऐसे में इस मसले पर कांग्रेस का संसद के दोनों सदनों में हंगामा तय है. मध्य प्रदेश की घटना को लोकतंत्र पर हमला बताते हुए अन्य विपक्षी दल भी कांग्रेस के समर्थन में आ सकते हैं. हालांकि संसदीय परम्परा का हवाला देकर सरकार इस मसले को उठाने का ये कहते हुए विरोध करेगी कि राज्यों की राजनीति पर संसद में बहस नहीं हो सकती.
यस बैंक पर भी सरकार को घेरने का प्रयास
वैसे मध्य प्रदेश से भी ज़्यादा बड़ा मसला यस बैंक का आ खड़ा हुआ है. यस बैंक की हालत ख़राब होने से बैंक के सभी ग्राहक परेशान हैं और सरकार ने बैंक को पटरी पर लाने का काम आरबीआई को सौंपा है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने बैंकिंग क्षेत्र की ऐसी हालत के लिए सरकार पर हमला बोला है. संसद में भी इस मसले पर आज हंगामा होना तय है.
सांसदों का निलंबन वापस लेने की होगी मांग
पिछले हफ़्ते कांग्रेस के सात लोकसभा सांसदों को अनुशासनहीनता के आरोप में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पूरे सत्र के लिए निष्कासित कर दिया. कांग्रेस ने अपने सांसदों का निलंबन इस आधार पर वापस लेने की मांग की है कि उन्हें ज़रूरत से ज़्यादा कठोर सज़ा दी दी गई है. आज एक बार फिर कांग्रेस इन सांसदों का निलंबन वापस करने की मांग करेगी.
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