पिछले साल अपनी आखिरी यूपीएससी परीक्षा देने वाले लोगों को एक और मौका देने पर केंद्र सरकार सहमत हो गई है. हालांकि, ऐसा कुछ शर्तों के साथ किया जाएगा सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान केंद्रीय कार्मिक विभाग की तरफ से यह जानकारी कोर्ट को दी गई. कोर्ट ने सोमवार को मामले पर आगे सुनवाई की बात कही है.
कई यूपीएससी अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह कहा है कि पिछले साल 30 सितंबर को दिए आदेश में कोर्ट ने परीक्षा स्थगित करने से मना कर दिया था. उस समय के असाधारण हालात में उम्मीदवार या तो वह परीक्षा नहीं दे सके या बिना सही तैयारी के परीक्षा दी. इसलिए, जिन लोगों का पिछले साल यूपीएससी परीक्षा देने का यूपीएससी परीक्षा देने का आखिरी मौका था, उन्हें एक और अवसर मिलना चाहिए.
केंद्र सरकार ने पहले इसे नियम के विरुद्ध बताते हुए अभ्यर्थियों को एक और मौका देने से मना कर दिया था. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार से कहा था कि उसे पिछले साल की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लोगों को एक और मौका देने पर विचार करना चाहिए. अगर ऐसा मौका दिया जाता है, तो कोर्ट अपने आदेश में यह स्पष्ट कर देगा कि ऐसा सिर्फ इस बार किया जा रहा है.
आज केंद्र सरकार की तरफ से एडीशनल सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने कोर्ट को जानकारी दी कि सरकार कुछ शर्तों के साथ यूपीएससी अभ्यर्थियों को एक मौका देने को तैयार हो गई है. उन्होंने बताया :-
* यह मौका सिर्फ इस साल के लिए दिया जा सकता है
* जिन अभ्यर्थियों का पिछले साल यूपीएससी परीक्षा देने का यूपी ऐसी परीक्षा देने का अंतिम मौका था, लेकिन अभी वह परीक्षा देने की आयु सीमा के अंदर हैं, सिर्फ उन्हें मौका मिलेगा
* जो लोग परीक्षा देने की आयु सीमा पार कर चुके हैं, उनके लिए कोई रियायत नहीं की जा सकती. उन्हें फिर से मौका नहीं मिलेगा
गौरतलब है कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी 32 साल की उम्र तक यूपीएससी की परीक्षा 6 बार दे सकते हैं. ओबीसी उम्मीदवार 35 साल की उम्र तक 9 बार परीक्षा दे सकते हैं. जबकि, एससी/एसटी उम्मीदवार 33 साल की उम्र तक असीमित बार परीक्षा दे सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार याचिकाकर्ताओं को अपने हलफनामे की कॉपी दे, ताकि वह इस पर जवाब दे इस पर जवाब दे सकें. मामले की अगली सुनवाई सोमवार 8 फरवरी को होगी.